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उनकी बंदूक और हमारा बल्ला


पाकिस्तानी बल्लेबाज़ शहजादा फरहान ने अपने अर्धशतक को पूरा करने पर बल्ले से अभिवादन करने के बजाय उत्तेजक रूप से इशारा किया जैसे कि मशीन गन चला रहे हों। मन में जो कुछ जम जाता है, वही क्रिया में आता है। यह अप्रिय घटना दिखाती है कि हमारे पड़ोस में बच्चों को कैसे पाला जाता है, जो 'बंदूक संस्कृति' को प्रदर्शित करता है।

हमारे सलामी बल्लेबाज अभिषेक शर्मा ने उसी पारी की पहली गेंद पर छक्का लगाकर उन्हें करारा जवाब दिया। हमारी सलामी जोड़ी ने एक सौ पाँच रन की साझेदारी कर एक तूफानी शुरुआत की। अभिषेक ने स्पष्ट रूप से दिखाया कि हमारी संस्कृति शुद्ध खेल है, जबकि पाकिस्तानी संस्कृति निंदनीय बंदूक संस्कृति है।

जबकि हमारे बच्चे स्कूल जाते हैं, खेल खेलते हैं, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में शामिल होते हैं, वहीं पाकिस्तान में बच्चों को बंदूक चलाने और हैंड ग्रेनेड फेंकने की शिक्षा दी जाती है। जब भारत अंतरिक्ष विज्ञान, चिकित्सा, इलेक्ट्रॉनिक्स, जैव प्रौद्योगिकी और अर्थशास्त्र में नवाचारों का केंद्र बन रहा है, वहीं पाकिस्तान आतंकवादी पैदा करने का एक जाना-माना केंद्र है।

पूरे विश्व में आतंकवादी गतिविधियों का कुछ न कुछ संबंध हमारे पड़ोसी देश से है। हिलेरी क्लिंटन ने एक बार कहा था कि "जो लोग अपने आंगन में सांप पालते हैं, उन्हें पता होना चाहिए कि ये सांप उनके मालिकों को भी काट सकते हैं"।

इन राक्षसों ने हमारे निर्दोष नागरिकों का खून बहाया। नरसंहार के मास्टरमाइंड जनरल मुनीर को ऑपरेशन सिंदूर में मुँह की खानी पड़ी । इसके बावजूद उसे पाकिस्तानी हुकूमत ने फील्ड-मार्शल के रैंक से नवाज़ा । 

हमारे देश में एक आवाज उठी थी कि भारत को उन देशों के साथ नहीं खेलना चाहिए जो पहलगाम नरसंहार के हत्यारों को पालते हैं।

हमारे खिलाड़ियों ने मैदान पर पाकिस्तानी टीम को अच्छी धूल चटाई और एशिया कप में उन्हें दो बार हराकर पहलगाम के पीड़ितों को एक सच्ची श्रद्धांजलि दी। 

हमने दुनिया को दिखा दिया है कि बंदूक या बल्ला, दोनों में से कौन अधिक शक्तिशाली है!

- डॉ. शिवनारायण आचार्य
   नागपुर, महाराष्ट्र 
लेख 8579945996574270926
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