सुंदर कला संगम तथा संजीवनी फाउंडेशन का संयुक्त आयोजन
https://www.zeromilepress.com/2025/09/blog-post_59.html
ओ मुहिंजा झूलेलाल सिंधी महानाट्य की भव्य प्रस्तुति
विभूतियों का हुआ सम्मान
नागपुर। सिंधी नाट्य जगत के भीष्म पितामह तथा सुंदर कला संगम के संस्थापक स्व. सुंदर बुटाणी की जयंती को उत्साह के साथ मनाया गया। सुंदर कला संगम तथा संजीवनी फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में नाट्य-समाज-शिक्षा क्षेत्र के विशिष्ट व्यक्तित्वों का सत्कार-समारोह तथा 'ओ मुहिंजा झूलेलाल' सिंधी महानाट्य की भव्य प्रस्तुति हुई। समारोह में अध्यक्ष के रूप में साधना सहकारी बैंक के अध्यक्ष घनश्याम कुकरेजा तथा प्रमुख अतिथि के रूप में वीरेंद्र कुकरेजा और डॉ. विंकी रुघवानी, किशोर रोहिड़ा, संजीवनी फाउंडेशन के अध्यक्ष वाधनदास तलरेजा तथा सुंदर कला संगम के अध्यक्ष किशन आसुदानी मंचासीन थे।
सिंधी रंगमंच में विशिष्ट योगदान हेतु नाट्य सौरभ अवार्ड कमल मूलचंदानी, संजय नागरानी, लता भगिया तथा लक्ष्मण सचदेव (उल्हासनगर) को, समाज रत्न पुरस्कार लक्ष्मण चंदवानी तथा भोजराज (पप्पू भाई) केवलरामनी को प्रदान किया गया। इस अवसर पर सिंधी समाज के पीएच.डी. धारकों को भी सम्मानित और डॉ. मीरा जारानी व भारती आसुदानी की पुस्तकों को लोकार्पित किया गया। प्रमुख अतिथि वीरेंद्र कुकरेजा ने इस भव्य आयोजन को किशन आसुदानी का सराहनीय प्रयास बताते हुए कहा कि "सिंधी भाषा के विकास और प्रसार हेतु किया गया यह भव्य आयोजन अभिनंदनीय है।
सिंधी हमारे संस्कार और व्यवहार दोनों की भाषा है। सिंधी भाषा को सीखने, बोलने व साहित्य-निर्माण का कार्य प्रत्येक सिंधी बंधु द्वारा किया जाना चाहिए।" प्रमुख अतिथि डा. विंकी रुघवानी ने अपने मनोभावों को रेखांकित करते हुए कहा- "आज के इस भव्य समारोह की यह अनूठी विशेषता है कि कला-सेवा और शिक्षा की त्रिवेणी का स्वागत-सत्कार किया जा रहा है। जिस समाज में प्रतिभाओं का सम्मान किया जाता है, वह समाज निश्चित ही श्रेष्ठता के शिखरों तक पहुंचता है।" समारोह का सुचारू मंच-संचालन डॉ. सोनू जेसवानी, डॉ. संगीता दलवानी, डॉ. विजय मदनानी ने किया।
जूली तेजवानी के निर्देशन में मुम्बई कलाकारों द्वारा महानाट्य 'ओ माय झूलेलाल' की अत्यंत प्रभावी प्रस्तुति हुई। सिंधी समाज के नाट्य कला प्रेमियों ने विपुल संख्या में उपस्थित रहकर अनूठी प्रस्तुति का आनंद उठाया। कार्यक्रम की सफलता में डॉ. दामिनी मोटवानी, डॉ. कमल चांदवानी, डॉ. उषा दानी, ताराचंद ममतानी, राकेश मोटवानी, महेश चेलानी, विजय विधानी, परमानंद कुकरेजा, भरत इसरानी, राजेश दयारामानी, राजेश रामचंदानी आदि का सहयोग रहा ।