शहरों की बजाय ग्रामीण अंचल में आज भी दीपावली संस्कृत त्यौहार है : एडवोकेट मनुजा तिवारी
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नागपुर। विदर्भ हिंदी साहित्य सम्मेलन में 'चौपाल' उपक्रम के अंतर्गत 'दीपावली का सांस्कृतिक महत्व शहरों में व ग्रामीण में' इस विषय पर परिचर्चा का आयोजन, हिंदी मोर भवन, सीताबर्डी, नागपुर में संयोजक विजय तिवारी तथा सहसंयोजक हेमंत कुमार पांडे इनके नेतृत्व में किया गया।
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एडवोकेट श्रीमती मनुजा निलेश तिवारी व श्रीमती डॉली निर्भय सारस्वत तथा उत्तरांचल से पधारे युवा उद्यमी पंकज कुमार पंत उपस्थित थे।
विशेष अतिथि श्रीमती डॉली निर्भय सारस्वत ने उदाहरण व अनुभव के आधार पर गांव की दीपावली उत्सव का सटीक चित्रण प्रस्तुत किया।
इसी प्रकार श्री पंकज कुमार पंत ने भी उत्तरांचल के छोटे से गांव में बीते अपने बाल जीवन की ग्रामीण दीपावली का बहुत ही सुंदर चित्रण प्रस्तुत किया।
परिचर्चा में डॉ बच्चू पांडे ने दीपावली के पश्चात देवता के प्रतिमाओं का योग्य नियोजन करने पर जोर दिया।
एडवोकेट जगत बाजपेई तथा श्री मदन गोपाल वाजपेई ने प्राचीन भारतीय संस्कृति में दीपावली का महत्व उसका सामाजिक योगदान व समाज में एक सूत्रता लाने के लिए किस प्रकार मनाया जाता था, इस पर उन्होंने अपने विचार व्यक्त किया।
इसी प्रकार श्री धीरज दुबे, व अन्य श्रोताओं ने चर्चा में बढ़ चढ़कर भाग लिया। कार्यक्रम का सफल संचालन व आभार प्रदर्शन कुमारी मोनालिसा ने किया। कार्यक्रम में सफल बनाने में श्रीमती प्रमिला, माया शर्मा, मोना टी व सर्वश्री प्रवीण तिवारी, हरविंदर सिंह गांधी, वैभव शर्मा, रोशन कुमार सिंह, डॉक्टर सौरभ शुक्ला, प्रकाश जी गुरुवे, धीरज दुबे, अरविंद बेगडे, अरुणपाल सिंह बहल, जितेंद्रपाल सिंह शासन, अशोक कुमार शुक्ला, शत्रुघ्न तिवारी, रमापति चौबे, खिलन तिवारी, विजय वाघमारे, स्वतंत्र जोशी, लक्ष्मीकांत कोठारी, अंबादास देशभ्रतार, अपना अमूल्य योगदान दिया।