क्रिकेट बनाम फ़ुटबॉल : अरबों डॉलर का कारोबारी मुकाबला
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फ़ीफ़ा वर्ल्ड कप की वैश्विक पहुँच से लेकर आईपीएल की बेजोड़ कमाई तक, दो बड़े खेल मैदान से बाहर भी भिड़ते हैं
आज खेल केवल हुनर की प्रतियोगिता नहीं रहे—ये अरबों डॉलर के कारोबार हैं जो अर्थव्यवस्थाओं का चेहरा बदल रहे हैं। इनमें फ़ुटबॉल और क्रिकेट सबसे आगे हैं, लेकिन अपने- अपने अलग तरीक़े से। फ़ुटबॉल की ताक़त है उसकी सार्वभौमिकता। लगभग पाँच अरब दर्शकों के साथ यह धरती का सबसे लोकप्रिय खेल है। फ़ीफ़ा वर्ल्ड कप 2022 को साढ़े तीन अरब से ज़्यादा लोगों ने देखा, जबकि 2018 का संस्करण अकेले ही 6.1 अरब अमेरिकी डॉलर की आमदनी लेकर आया। यूरोपीय क्लब फ़ुटबॉल साल भर प्रसारण, प्रायोजन, टिकट और मर्चेंडाइज़िंग से कारोबार करता है। रियल मैड्रिड और मैनचेस्टर यूनाइटेड जैसे क्लबों की क़ीमत पाँच अरब अमेरिकी डॉलर से ज़्यादा आँकी जाती है, जो फ़ुटबॉल की व्यावसायिक ताक़त को बख़ूबी दिखाती है।
क्रिकेट, जिसे पहले क्षेत्रीय खेल माना जाता था, अब अपनी पहुँच तेज़ी से बढ़ा रहा है। आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप 2023 को टीवी और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर लगभग 2 अरब दर्शकों ने देखा, जिसमें भारत, पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड से रिकॉर्ड तोड़ आँकड़े आए। अमेरिका, मध्य-पूर्व और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में भी क्रिकेट की नई लोकप्रियता बढ़ रही है। लेकिन इसका असली कारोबारी मोती है इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल)। इसका ताज़ा प्रसारण सौदा 6.2 अरब अमेरिकी डॉलर में हुआ। हर मैच का मूल्य सुपर बाउल जैसे बड़े इवेंट के बराबर आँका जाता है। सिर्फ़ आईपीएल की कमाई कई वैश्विक खेल लीगों को मुनाफ़े के मामले में टक्कर देती है।
तो, कौन है बड़ा कारोबारी विजेता?
अगर पैमाना हो वैश्विक पहुँच, विविध आय के स्रोत और सांस्कृतिक सार्वभौमिकता—तो फ़ुटबॉल साफ़ विजेता है। लेकिन अगर पैमाना हो प्रति मैच मुनाफ़ा, विज्ञापनदाताओं की भागीदारी और उच्च मूल्य वाले बाज़ार में दबदबा—तो क्रिकेट, खासकर आईपीएल, शीर्ष पर खड़ा दिखाई देता है।
सच्चाई यह है: फ़ुटबॉल दिखाता है कि कैसे "चौड़ा" फैला जाए, और क्रिकेट दिखाता है कि कैसे "गहरा" उतरा जाए। दोनों मिलकर यह साबित करते हैं कि आधुनिक खेलों में असली मुकाबला सिर्फ़ मैदान पर नहीं, बल्कि बैलेंस शीट पर भी होता है।
- खुश वैरागडे
गोवा इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट
