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समस्या के समाधान का माध्यम है शोध : डॉ. मनोज पाण्डेय


नागपुर। शोध से तार्किक और विश्लेषणात्मक क्षमता का विकास होता है। किसी भी समस्या का समाधान बिना शोध के सम्भव नहीं है। शोध की वृत्ति शोधार्थी को पूर्णता की ओर ले जाता है। यह बात राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज पाण्डेय ने तीन दिवसीय *शोध कार्यशाला* में कही।नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शोध के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि सतत् विकास के लिए अनुसंधान अत्यावश्यक है। विद्यार्थियों में शोध वृत्ति को बढ़ावा देने और शोध कार्य के प्रति उनकी रुचि जागृत करने के लिए शोध कार्यशाला का आयोजन किया गया। डॉ. पाण्डेय ने शोध की परिकल्पना  तथा शोध प्रबंध लेखन की प्रविधि विषय पर सम्बोधित किया।

 कार्यशाला में शोध - कब, क्यों और कैसे? तथा शोध सामग्री : स्रोत, संकलन एवं वर्गीकरण विषय पर बोलते हुए सहायक प्राध्यापक डॉ. लखेश्वर चन्द्रवंशी ने कहा कि जिज्ञासा ही विद्यार्थी को शोधार्थी बनाता है। आवश्यकता शोध की जननी है और शोध विकास की जननी है। मनुष्य के आत्मिक, साहित्यिक, भौतिक तथा बहुमुखी जीवन में जो विलक्षण उन्नति हुई है, वह अनुसंधान के कारण ही। उन्होंने अपने सत्र में शोध का आशय, शोध के तत्व, शोध का प्रयोजन, शोधार्थी के गुण तथा शोध सामग्री के स्रोत और वर्गीकरण को विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से समझाया। 

सहायक प्राध्यापक डॉ. सुमित सिंह ने विषय निर्वाचन और दिशाएं तथा रूपरेखा निर्माण व सम्पादन विषय पर बोलते हुए कहा कि शोधकार्य में विषय का चयन सबसे महत्वपूर्ण है। शोध विषय पूरी शोध प्रक्रिया को दिशा देता है, शोध की सफलता की नींव रखता है, और शोधकर्ता की प्रेरणा और दक्षता को बनाए रखता है। इसलिए शोधार्थी को चाहिए कि वह अपने रुचि और समाजोपयोगी उपयुक्त विषय का चयन करना चाहिए। कार्यशाला की संयोजक प्रा. जागृति सिंह ने आभार व्यक्त किया। कार्यशाला में विभाग के विद्यार्थी, शोधार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
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