तुम्हारी चिट्ठी
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अपना वादा पूरा किया,
खोल के देखा
पूरा खाली था,
आगे पीछे
उपर नीचे
सब खाली था,
हमने पूछा यह क्या भेजा
तुमने कहा
ये तो दिल था पगले!
देख कर इसको
दिल भर आया,
भरे दिल से
शुक्रिया कह दी,
दिल क्यूँ इतना
खाली पगली,
कुछ तो लिख कर
भेजी होती,
वो मुस्कुरा कर बोली-
लिक्खा ही
कुछ गर होता इसमें
तो होता कैसे
यह दिल खाली!
फिर से मेरा
दिल भर आया
पाकर उसके
दिल को खाली॥
- डॉ. शिवनारायण आचार्य 'शिव'
नागपुर, महाराष्ट्र