मानवता का मंदिर है स्नेहांचल
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कलामंच और हैल्पिंग हैंडस का रोचक आयोजन
नागपुर। कैंसर के मरीज को तीन प्रकार के दर्द का सामना करना पडता है, शारीरिक, मानसिक और सामाजिक। हास्पिटल में केवल शारीरिक दर्द को समझा जाता है लेकिन स्नेहांचल में मानसिक और सामाजिक दर्द के लिए विशेष प्रयास किए जाते हैं।इस में आध्यात्मिक सहयोग विशेष होता है। इस आशय के विचार समाजसेवी मिलिंद बडगे ने व्यक्त किए। वे स्नेहांचल वेदना शमन केंद्र में आयोजित कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे।
कार्यक्रम में मंच पर कलामंच के संस्थापक नरेंद्र सतीजा और प्रकल्प निदेशक डॉ आशीष मोदी उपस्थित थे। इस दौरान बडगे ने स्नेहांचल की सेवाओं की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शहर में 5 स्थानों पर ओपीडी शुरू की जा चुकी हैं। एक अनूठा प्रयास करते हुए कैंसर रोगियों को घर पहुंच सेवाएं दी जा रही हैं। विशेष बात यह है कि स्नेहांचल की समस्त सेवाएं निशुल्क होती हैं।
इसी तरह सतीजा ने कहा कि स्नेहांचल मानवता का मंदिर है और आज सेवाभावी संस्था हैल्पिंग हैंडस के साथ संस्थाओं का त्रिवेणी संगम साकार हुआ है। हैल्पिंग हैंडस की ओर से प्रस्तावना डा रुचि जैन ने रखी।कार्यक्रम के बाद डा रेणु इंगले ने सभी को स्नेहांचल के अंदर मरीजों से भेंट करवाई और कार्यप्रणाली समझाई। कार्यक्रम में डा मधु अग्रवाल, रिषभ जैन, रूपेश पालसपुरे, मोनिका अग्रवाल, नीलम पोद्दार, रवि मेहरे, सारिका टाटे आदि की विशेष उपस्थिति रही।
