सिकल सेल पीडितों की अधिक रोगियों के चलते विदर्भ में ज़्यादा विशेषज्ञों की ज़रूरत : डॉ. रुघवानी
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मुख्य अतिथि डॉ. विंकी रुघवानी ने सिकल सेल जागरूकता सप्ताह के समापन के मौके पर सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग और डागा हॉस्पिटल के स्टाफ को सिकल सेल बीमारी के निदान, और रोकथाम के बारे में जानकारी दी।
नागपुर। जहाँ देश में सिकल सेल बीमारी का प्रसार लगभग 3% है, वहीं विदर्भ के खास कुछ समुदायों में यह 30% तक जनसंख्या में हो सकती है। इस आनुवंशिक रक्त विकार का इतना ज़्यादा फैलाव देखते हुए, महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष और शहर के NGO थैलेसीमिया एंड सिकल सेल सोसाइटी ऑफ़ इंडिया के संस्थापक डॉ. विंकी रुघवानी ने कहा कि हमें विदर्भ में खून की बीमारियों के और ज़्यादा एक्सपर्ट्स की ज़रूरत है।
यह बुधवार को मनकापुर में नए डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के उद्घाटन में मुख्य अतिथि के तौर पर उनके भाषण का हिस्सा था। हॉस्पिटल में सिकल सेल जागरूकता सप्ताह का भी समापन हुआ, जिसमें सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग और डागा हॉस्पिटल के स्टाफ को डॉ. रुघवानी ने सिकल सेल बीमारी के बारे में जानकारी दी। जिला सिविल सर्जन डॉ. निवृत्ति राठौड़, डागा हॉस्पिटल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. दिलीप मडावी, हॉस्पिटल के हेमेटोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. संजय देशमुख, डिस्ट्रिक्ट सिकल सेल काउंसलर संजीवनी सतपुते, डिस्ट्रिक्ट सिकल सेल कोऑर्डिनेटर प्राजक्ता चौधरी और लैब टेक्नीशियन प्राचीति वाडके प्रमुख रूप से मौजूद थे।
विदर्भ और उसके आस-पास के कुछ समुदायों के बारे में बात करते हुए जो SCD से अधिक प्रभावित हैं, डॉ. रुघवानी ने कहा, 'अध्ययनों से पता चला है कि महार समुदाय में इस बीमारी का प्रसार 20% तक हो सकता है। मध्य भारत की जनजातियों में भी इस बीमारी का खासा प्रमाण है जो कि भिन्न समुदायों में 10- 30% के बीच है'।
उन्होंने आगे कहा कि इस क्षेत्र में इतने ज़्यादा मरीज़ होने के कारण, हमें और ज़्यादा स्वास्थ्य कर्मचारियों की ज़रूरत है जो इस बीमारी को जानें और समझें ताकि कम उम्र में ही इसका पता लगाया जा सके। आमतौर पर, बचपन में इसके लक्षण हाथ-पैरों में दर्द जैसे मामूली हो सकते हैं जिससे निदान मुश्किल हो जाता है।
डॉ. राठौड़ ने सरकारी अस्पतालों में मरीज़ों के लिए मुफ्त में उपलब्ध सुविधाओं के बारे में बताया, जिसमें दवाएँ और रक्त आधान शामिल हैं। 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 2047 तक सिकल सेल बीमारी के नए मामलों को खत्म करने के लिए एक राष्ट्रीय मिशन शुरू किया है। इस मिशन में एक भागीदार के तौर पर, हमने तय किया है कि डागा हॉस्पिटल में सभी नवजात शिशुओं और गर्भवती माताओं की इस बीमारी के लिए जाँच की जाएगी। इससे हमें SCD वाले बच्चों को कम उम्र में ही वैद्यकीय मदद देने में मदद मिलेगी, जिससे उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा', उन्होंने कहा।
उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि सरकारी अस्पतालों के सभी स्टाफ सदस्यों के लिए यह बहुत ज़रूरी है कि वे न सिर्फ़ अपनी मौजूदा चिकित्सा कौशल का इस्तेमाल करें, बल्कि नई कौशल भी सीखें ताकि मरीज़ों को सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई सुविधाओं का पूरा फ़ायदा मिल सके।
