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विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन के साहित्यिकी में कवि-सम्मेलन संपन्न


नागपुर। कवि सम्मेलन का आरंभ सरस्वती को नमन और  अतिथि  डॉ संपदा कुल्लरवार का सत्कार पारंपरिक रूप से  किया गया। सत्कार के पश्चात कवि-सम्मेलन का प्रारंभ हुआ। तनहा नागपुरी ने डाॅ भीमराव अम्बेडकर को नमन करते हुये बढ़िया गजल पढी। गुलाम मोहम्मद खान के शब्द थे गले लगा के तुम्हें आज अलविदा कह दूँ। रामकृष्ण सहस्रबुद्धे ने रोटयों की अहमियत की बात  सुनाई। कल्पना बारापात्रे ने माँ की ममता का गान किया।आशुतोष चौधरी ने राधा श्याम की प्रीति गुनगुनाई तो भाऊराव मुले ने महामना का महापरिनिर्वाण बताया। जीतेन्द्र जैन ने अस्मते लूटी जा रहीं पल-पल कहते हुये कवि सम्मेलन को ऊंचाईयां दीं ।दीपक गुप्ता ने कहा मासूमों का कौन है तू क्यों बैठा मौन है। 

डाॅ राम मुले ने कहा सुनो दर्पण मेरा प्रतिबिम्ब भी कम नहीं। फूल कलियों का अंबार है।मेरी गजल माधुरी राऊलकर ने कहा तो विनोद असरानी ने हास्य व्यंग्य से जवाब दिया।*आराधना शर्मा की रचना ने तालियाँ बटोरीं घृति बेडेकर की व्यंग्य रचना ने सोचने पर मजबूर कर दिया। सारिका विजयवर्गीय ने सुन्दरी सवैया छंद सुनाया ।माधुरी मिश्रा ने सुनाया ऐ नारी तेरी महिमा न्यारी से सम्मोहित किया ।राजीव*गायकवाड़ ने तेरे दिल को पढता हूँ अखबार की तरह हास्य कविता से संपूर्ण कक्ष को हँसा दिया। मजीद बेग मुगल ने दिल दे दिया हो गये गुलाम कहा, तो लीलाधर सिन्हा ने कविता में सटीक जवाब दिया। 

मेघा अग्रवाल शीत की शीतलता बताई। अमिता ने मंजिल तुम्ही हो सपनों का ताजमहल तुम्ही सुनाकर कक्ष को रूमानी सौगात दी आरिफ काजी ने भीमराव को नमन के साथ बढ़िया गजल पढी। सईद हजरत ने अपनी गजल से समा बाँध दिया। अरुणा महेन्द्रू ने रिश्तों की बात की। जयशंकर तिवारी ने दो पंक्तियों में बात रखी।वंदना सहाय ने मंगल सूत्र एक सिद्ध*ताबीज ह कविता पढकर कक्ष की वाहवाही लूटी। संयोजक द्वय शादाब अंजुम ने बढ़िया गजल पढी, और हेमलता मिश्र मानवी ने अपने दोहों के साथ संचालन किया। बीच में कुछ समय के लिये डाॅ सागर खादीवाला की उपस्थिति दर्ज कराई।

अतिथि डाॅ संपदा ने अपने वक्तव्य में आयोजन की और विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन की भूरि-भूरि सराहना की और अपनी स्वरचित मराठी हिन्दी कविताओं का पाठ किया। आयोजन में सर्वश्री विजय तिवारी पी एन काशिव नरेंद्र ढोके लक्ष्मी नारायण केसकर बलदेव जुनेजा वी वाघमारे अनीता*गायकवाड़ आदि की उपस्थिति रही। आभार प्रदर्शन और सामूहिक छायाचित्र के साथ समापन की घोषणा की गई। संचालन हेमलता मिश्र मानवी ने अपने दोहों से और आभार शादाब अंजुम ने किया।
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