Loading...

श्रीजिनसहस्रनाम महामृत्युंजय लक्ष्मी प्राप्ति विधान का विमोचन

                    


नागपुर। श्रीजिनसहस्त्रनाम - महामृत्युंजय - लक्ष्मीप्राप्ति विधान का विमोचन प्रज्ञायोगी आचार्यश्री गुप्तिनंदी जी गुरुदेव, मुनिश्री विमलगुप्तजी, मुनिश्री विनयगुप्तजी, आगमस्वरा गणिनी आर्यिकाश्री आस्थाश्री माताजी, क्षुल्लक धर्मगुप्तजी, क्षुल्लक शांतिगुप्तजी, क्षुल्लिका धन्यश्री माताजी, क्षुल्लिका तीर्थश्री माताजी के करकमलों से संपन्न हुआ। 

आचार्यश्री गुप्तिनंदी जी गुरुदेव ने बताया कि यह एक ही विधान विधानों का संग्रह है। इसे संसार में जिनसहस्रनाम विधान, महामृत्युंजय विधान और लक्ष्मीप्राप्ति विधान के नाम से जाना जायेगा।इसमें लघु आदिनाथ विधान, वृहद आदिनाथ विधान, तीस चौबीसी मंत्र, वृहद गणधर वलय मंत्र, विद्या प्राप्ति मंत्र विधान, सर्वदोष प्रायश्चित्त विधान के बाद लघु हवन विधी को प्रकाशित किया गया है। 

इस अवसर पर आगमस्वरा गणिनी आर्यिकाश्री आस्थाश्री माताजी ने कहा" कि इन सभी विधानों की रचना महाकवि प्रज्ञायोगी दिगंबर जैनाचार्य श्री गुप्तिनंदी जी गुरुदेव ने की है।सभी विधान गागर में महासागर को संजोये हुए हैं।प्रत्येक विधान से पूजा करने वाले सभी भक्तों की प्रत्येक समस्या का बिना याचना के ही सहज सरल समाधान हो सकता है. 

मुनिश्री विनयगुप्तजी ने कहा ये अपने आप में परिपूर्ण विधान है जिसमें हमारे कविहृदय आचार्यश्री ने विनय पाठ से लेकर हवन और विसर्जन पाठ को एक ही ग्रंथ में संजोकर रख दिया है। मुनिश्री विमलगुप्तजी ने कहा कि अब किसी भी भक्त को अलग से कोई दूसरी जिनवाणी की आवश्यकता नहीं पडेगी। क्षुल्लक शांतिगुप्तजी ने कहा कि आचार्यश्री ने जैनागम के गूढ़ रहस्यों को, भगवान के1008 सार्थक नामों को बहुत ही सरल शब्दों में काव्य के रूप में लिखकर माँ भारती के भंडार को बढ़ाया है. 

क्षुल्लक धर्मगुप्तजी ने कहा हमारे आचार्य श्री सरल है और उनकी लेखनी भी बहुत सरल है. क्षुल्लिका धन्यश्री माताजी ने कहा हमारे आचार्य गुरुदेव बचपन से ही कवि हृदय हैं. क्षुल्लिका तीर्थश्री माताजी ने कहा हमारे गुरुदेव बड़े ही करुणावान है जो निरंतर परोपकार करते रहते हैं। पिछले 20 नवंबर से 1दिसंबर तक लक्ष्मीप्राप्ति विधान चल रहा है जिसका सारे विश्व से हजारों भक्त झूम मीटिंग के माध्यम से तीनों समय लाभ ले रहे हैं. 

प्रतिदिन जिनसहस्त्रनाम विधान, महामृत्युंजय विधान, लक्ष्मी प्राप्ति विधान, सर्व दोष प्रायचिश्त विधान, अंतर्राष्ट्रीय विश्वशांति महायज्ञ 1 दिसंबर तक ऑनलाइन जारी हैं. प्रतिष्ठाचार्य पं. दीपक उपाध्ये सांगली विधान संपन्न करायेंगे. श्री धर्मतीर्थ विकास समिति के प्रवक्ता नितिन नखाते ने बताया जिनसहस्त्रनाम विधान का रवींद्र, सुरेन्द्र, नीलेश, पंकज, पीयूष खड़कपुरकर परिवार देऊलगांवराजा के सहयोग से प्रकाशित हुआ हैं.

29 नवंबर को सुबह 8 बजे 9 बजे तक श्री इच्छापुरक आदिनाथ भगवान का महामस्तकाभिषेक, शांतिधारा, दोपहर 2 बजे से 4 :15 बजे तक विद्याप्राप्ति विधान, शाम 6 : 30 बजे से परमानंद यात्रा, आलोचना पाठ, ऋद्धि सिद्धि महामृत्युंजयी मंत्र जाप, आरती, कथा, प्रश्नमंच होगा. अधिक जानकारी के लिये नितिन नखाते से संपर्क की अपील की गई हैं.

धार्मिक 4422033076625478422
मुख्यपृष्ठ item

ADS

Popular Posts

Random Posts

3/random/post-list

Flickr Photo

3/Sports/post-list