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हर पल होता हे अहसास...

सम्पन्नता मे प्रभाव का 
विपन्नता मे विभाव का 
होता हे यही कयास 
हर पल होता हे अहसास

उमंग से सरोबार होकर 
हर हालात को करो स्वीकार 
अडिग सुमेरु सा बनकर 
मजबूत करो मन के विचार 
सफलता की सोपान 
सदा रखो अपने पास  
हर पल होता हे अहसास 

मीठे मीठे बोलो बोल 
कटु वचन को मत कहो 
विवादो से विरक्त रहकर 
अहंकार से दुर रहो 
मन उपवन की फुलवारी मे 
बहती रहे सदा सुवास 
हर पल होता हे अहसास 

अनचाहा हो न कभी 
मनचाहा सदा होता रहे 
अंतर के आनंद से सदा 
सुख का निर्झर बहता रहे 
कोई काम न ऐसा करे 
जिससे हो उपहास 
हर पल होता हे अहसास।
        
यशवंत भंडारी 'यश'
झाबुआ म. प्र.
काव्य 4957177489750479909
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