26 जनवरी, गणतंत्र दिवस और भारत का राष्ट्रीय ध्वज
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विद्यार्थी मित्रों आप सभी को भारतीय गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं।
आप कोविड - 19 की आवश्यक सतर्कता के साथ विद्यालय में प्रवेश कर रहे हैं। सभी छात्र विद्यालय अध्ययन के साथ सह - पाठ्यचर्या संबंधी गतिविधियों में भाग लेने की तैयारी कर रहे हैं। नव वर्ष का सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय उत्सव 26 जनवरी, 'गणतंत्र दिवस' है। सभी छात्र स्कूल के गणवेश में अपने राष्ट्रीय ध्वज को सलामी देते हैं। वे बड़े उत्साह के साथ गणतंञ दिवस मनाते हैं। वे भारतीय तिरंगे को नमन करते हैं और विभिन्न सह - शैक्षिक देशभक्ति गतिविधियों में भाग लेते हैं। वे वास्तव में अपनी देशभक्ति को व्यक्त करते हैं।
आइए आज हम इस राष्ट्रीय ध्वज के बारे में, विद्यार्थी मित्रों को जानकारी देते हैं। भारत का राष्ट्रीय ध्वज भगवा [नारंगी], सफेद और हरा रंग का एक तिरंगा है। आइए हम अपने दिल से इस तिरंगे को सलामी दें यह तय करने के लिए नियुक्त किया गया था कि स्वतंत्र भारत का ध्वज कैसा दिखना चाहिए। उसके लिए एक समिती नियुक्त की गयी थी इसमें डॉ बाबासाहेब आंबेडकर शामिल थे।
उन्होने कांग्रेस के ध्वज को स्वतंत्र भारत के ध्वज के रूप में घोषित करना चाहिए और चरके के स्थान पर अशोक चक्र ध्वज के मध्य भाग मे विराजमान होना चाहीए ऐसा सुचित किया था संविधान समिति ने 22 जुलाई को प्रस्ताव और आधिकारिक ध्वज को मंजूरी दी। 15 अगस्त 1947 को भारत के प्रभुत्व के तहत इसे बनाया गया था। इसे भारतीय ध्वज के रूप में संबोधित किया गया था।
भारतीय ध्वज को 'तिरंगा' कहा जाता है। इसका आकार 3ः2 है। यह खादी कपड़े से बनाया जाता है। खादी विकास और ग्रामोद्योग आयोग को ध्वज बनाने का अधिकार है ध्वज का उपयोग भारतीय ध्वज संहिता और राष्ट्रीय प्रतीक से संबंधित है। यह संबंधित कानूनों द्वारा किया जाता है। वास्तव मे स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस को छोड़कर निजी नागरिकों द्वारा ध्वज के उपयोग पर प्रतिबंध है। केसरी रंग (नारंगी) बलिदान और बहादुरी का प्रतीक है, सफेद शांति का प्रतीक है और हरा रंग समृद्धि का प्रतीक है।
अशोक चक्र बुद्ध द्वारा दिए गए 24 सत्य का प्रतीक है। अशोक चक्र सारनाथ के सिहमुद्र पर अशोक चक्र का प्रतीक है। सफेद रंग यह प्रकाश और सत्य के मार्ग का प्रतीक है। यह शांति, सच्चाई और पवित्रता भी सिखाता है। नीचे का क्षेत्र गहरा हरा है। यह रंग प्रकृति या भूमि के साथ संबंध, वफादारी और समृद्धि की भावना का प्रतिनिधित्व करता है। नीला अशोक चक्र समुद्र और समय के चक्र और उसके साथ बदलने वाली दुनिया की तरह अंतहीनता को दर्शाता है।
धम्म चक्र से पता चलता है कि जीवन तेज होना चाहिए और भारतीयों को शांति से आगे बढ़ना चाहिए। यह चक्र मूल रूप से बौद्ध धर्म का धम्म चक्र है जो विश्व शांति का संदेश देता है। इसे 'अशोक चक्र' के नाम से जाना जाता है। यह भारतीय कला, दर्शन, इतिहास और संस्कृति का एक सुंदर संगम है। धम्मचक्र प्रवर्तनाय का नारा भारतीय संसद के अध्यक्ष के आसन के शीर्ष पर अंकित है।
यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं कि राष्ट्रीय ध्वज, जो राष्ट्र का प्रतीक है, किसी भी तरह काअपमान नहीं होना है। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज संहिता केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा तैयार की गई है। यह आशा की जाती है कि फ्लैग कोड के बारे में नागरिकों में जागरूकता पैदा की जाएगी। मैं इस उद्देश्य के लिए यह लेख लिखने का इरादा रखता हूं। बहुत कम भारतीय जानते हैं कि राष्ट्रीय ध्वज के लिए एक आचार संहिता का मसौदा तैयार किया गया था।
संहिता के अनुसार, जब महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्यक्रमों, सांस्कृतिक और क्षेत्र के खेलों के दौरान राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है, तो उसे सम्मान पुर्वक ऊंचा स्थान दिया जाता है। राष्ट्रीय ध्वज को एक ऐसे ऊचे स्थान पर फहराया जाता है जहां यह सभी को दिखाई दे। सरकारी भवन पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने की प्रथा है। रविवार और अन्य छुट्टियों के दिन ध्वज को सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराया जाता है। प्रतिकूल मौसम में भी झंडा फहराना आवश्यक है।
विद्यार्थी मित्रों, आइए अब ध्वज फहराने के नियमों को समझते हैं। संहिता के अनुसार, राष्ट्रीय ध्वज को हमेशा जोश के साथ फहराना चाहिए और ध्वज को सम्मान के साथ धीरे-धीरे उतारा जाना चाहिए। जब झंडा किसी भी इमारत की खिड़की या दृश्य क्षेत्र में क्षैतिज और विशिष्ट रूप से फहराया जाता है, तो ध्वज की नारंगी पट्टी सबसे ऊपर होती है।
प्लास्टिक के झंडे का उपयोग निषिद्ध (मना) है। राष्ट्रीय ध्वज को ऐसे समय पर फहराया जाना चाहिए कि गणमान्य व्यक्ति का चेहरा दर्शकों की ओर हो और झंडा बाईं ओर होना चाहिए। या अगर झंडा दीवार पर है, तो इसे प्रतिष्ठित लोगों के पीछे और दीवार पर क्षैतिज रूप से फहराया जाना चाहिए। किसी भी प्रतिमा का अनावरण किया जाता है, तो ध्वज को गरिमापूर्ण और अलग तरीके से फहराया जाना चाहिए। जब वाहन पर झंडा फहराया जाता है, तो वाहन के बोनट पर एक दंड लगाई जानी चाहिए और उस पर झंडा फहराया जाना चाहिए।
संहिता के अनुसार, राष्ट्रीय ध्वज जुलूस या परेड में शामिल व्यक्ति के दाहिने हाथ में होना चाहिए। यदि अन्य झंडे हैं, तो उनके पास केंद्र में राष्ट्रीय ध्वज होना चाहिए। फटा हुआ झंडा नहीं फहराना चाहिए। किसी भी व्यक्ति या वस्तु को नमस्कार करते समय ध्वज को जमीन की ओर नहीं झुकाना चाहिए। राष्ट्रीय ध्वज की तुलना में अन्य झंडों के झंडे या झंडे को ऊंचा नहीं फहराया जाना चाहिए। राष्ट्रीय ध्वज का इस्तेमाल स्पीकर के मंच को कवर करने या सजाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। (नारंगी) केसरी वाला भाग जमीन कि तरफ हो तो झंडा नहीं फहराया जाना चाहिए।
साथ ही, राष्ट्रीय ध्वज को मिट्टी और पानी का स्पर्श नही होना चाहिए। ध्वज को इस तरह से बांधा जाना चाहिए कि फहराए जाने पर वह न फटे। झंडे के दुरुपयोग को रोकने के लिए एक स्पष्ट दिशा निर्धारित की गई है। तदनुसार, इसका उपयोग केंद्रीय सैन्य बल से संबंधित किसी व्यक्ति के अंतिम संस्कार के अलावा कहीं भी नहीं किया जाना चाहिए। किसी भी वाहन, ट्रेन, जहाज पर झंडा नहीं फहराया जा सकता है। ध्वज का उपयोग घर के पर्दे के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
किसी भी पोशाक को पहनते समय ध्वज के कपड़ा का उपयोग नहीं करना चाहिए है। इसके अलावा, राष्ट्रीय ध्वज को गद्दा या रूमाल पर नहीं खींचा जाना चाहिए। राष्ट्रीय ध्वज पर कहीं भी लिखान या विज्ञापन नहीं किया जाता है। जिस पोल पर झंडा फहराया गया है, उस पर विज्ञापन नहीं लगाया जा सकता है। केवल गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर ही फूलों की पंखुड़ियों से लहराया जाने वाला झंडा होता है। नागरिकों को राष्ट्रीय ध्वज फहराते या कम करते समय सावधानी की स्थिति में होना चाहिए। सरकारी पोशाक में सरकारी अधिकारी झंडे को सलामी देते है।
जब झंडा सेना के एक जवान के हाथ में होगा और वह सावधान की स्थिति में खड़ा होगा। सरकारी अधिकारियों के पास से जब ध्वज ले जाया जाता है तो उन्होने ध्वज को सम्मानपूर्वक सलामी करना चाहिए सम्मानित लोग बिना टोपी पहने राष्ट्रीय ध्वज को सलामी दे सकते हैं। छात्र मित्रो भारतीय राष्ट्र ध्वज, राष्ट्रगान की तरह, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान और बाद में भारतीयों को प्रेरित करता आया है। भारतीय ध्वज को विभिन्न साहित्य और देशभक्ति गीतों में भी गौरव गान किया जाता है।
हिंदी कवि श्यामलाल गुप्ता 'पार्षद ’द्वारा लिखित, 'विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊचा रहे हमारा' 1938 के कांग्रेस अधिवेशन में इस गीत को 'ध्वज गीत' के रूप में अपनाया गया था। स्वतंत्रता संग्राम के लिए लिखे गए प्रेरणादायक गीत में बी.बी. बोरकर ने अपने गीत 'चड़वु गगनी निशान, आमचे चडवु गगनी निशान, कोटि मुखानी गरजू जय जय स्वतंत्र हिंदुस्थान' में गुनगुनाया। पंजाब मेअटारी स्थित भारतीय सिमा अंतर्गत 360 फीट (105 मीटर) भारतीय ध्वज अब तक (मार्च 2017) में सबसे ऊचा भारतीय झंडा है।
भारतीय सीमा राष्ट्रीय ध्वज 120 फीट लंबा और 80 फीट चौड़ा है। पुणे के कटराज में नानासाहेब पेशवा जलाशय के आसपास के क्षेत्र में पुणे नगर निगम द्वारा बनाया गया 237 फुट (72 मीटर) भारतीय ध्वज, महाराष्ट्र राज्य का अब तक का सबसे ऊचा राष्ट्रीय ध्वज है यह (अगस्त 2016), मे दैनिक लोक सत्ता मे प्रकाशित हुआ है। कोल्हापुर में झंडा 82 मीटर ऊंचा है।
पुणे में निगडी भक्ति - शक्ति उद्यायन में 25 - 12 - 2017 को राष्ट्रीय ध्वज 107 मीटर ऊंचा है। इस प्रकार यह भारतीय ध्वज का प्रेरक इतिहास है। आप इस तिरंगे के बारे में आप लोगो को अधिक जानकारी होनी चाहीए बदले में, मैं आप सभी को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं देता हूं और आपकी सुयश की कामनाए करता हु। जयहिन्द