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विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान की गोष्ठी में अनेक प्रतिभागी



नागपुर। मानव सभ्यता के विकास में भावों की अभिव्यक्ति के लिए लेखन कला विकसित हुई। इस आशय का प्रतिपादन विश्व हिंदी साहित्य संस्थान, प्रयागराज के अध्यक्ष प्राचार्य डॉ शहाबुद्दीन नियाज़ मुहम्मद शेख़ ने किया। 

हिंदी लेखन के विविध आयाम विषय पर विश्व हिंदी साहित्य संस्थान प्रयागराज द्वारा आयोजित आभासी गोष्ठी के अध्यक्ष के रूप में वे बोल रहे थे। उन्होंने आगे कहा कि लेखन मानव मन को संतुष्टि प्रदान करता है।

आजीविका के माध्यम के रूप में हिंदी आज विकसित हो रही है। मुख्य अतिथि डॉ चंद्रशेखर सिंह, मुंगेली, छत्तीसगढ़ ने इस अवसर पर कहा कि वर्तमान में लेखक हिंदी मात्र पढ़ते ही नहीं, बल्कि हिंदी जीते भी हैप्रवासी साहित्यकारों ने हिंदी को विश्व मंच पर पहुंचाया है। 

आज हिंदी लेखन भरपूर मात्रा में हो रहा है।मुख्य वक्ता डॉ ओम प्रकाश त्रिपाठी ,लखनउ ने कहा कि लेखन स्वयं को तलाशने की विधि है। दुख और सुख इन दोनों घड़ियों में भी लेखन की निर्मिती होती है।परिणाम स्वरूप हिंदी लेखन बहुआयामी बन रहा है।

श्री लक्ष्मीकांत वैष्णव, छत्तीसगढ़ ने कहा कि लेखन में भाषा और व्याकरण पर ध्यान देना जरूरी है।क्योंकि व्याकरण भाषा को नियंत्रित करता है तथा भाषा से लेखन में निखार आता है। आज हिंदी लेखन में नयापन लाने का प्रयास हो रहा है। 

डॉ वंदना श्रीवास्तव,लखनउ ने व्यक्त किया कि हिंदी केवल भारत की ही नहीं बल्कि समस्त विश्व की भाषा है।हिंदी लेखन विविध विधाओं के माध्यमों से जनमानस में पहुंच रहा है। डॉ पूर्णिमा मालवीय, प्रयागराज ने कहा कि हिंदी की लोकप्रियता निरंतर बढ़ रही है। 

आत्मनिर्भर भारत बनने में हिंदी योगदान दे सकती है। गोष्ठी का आरंभ पूर्णिमा कौशिक द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से हुआ। विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान,प्रयागराज के सचिव डॉ गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी ने स्वागत भाषण में कहा कि साहित्य में विधाओं की कोई निश्चित सीमा नहीं है। समय के अनुसार उसकी पहचान होती है। 

विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान की छत्तीसगढ़ इकाई की हिंदी सांसद डॉ मुक्ता कान्हा कौशिक, रायपुर ने संस्था का परिचय प्रस्तुत किया। विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान की छत्तीसगढ़ इकाई की इस प्रथम गोष्ठी में पटल पर अनेक प्रतिभागी उपस्थित थे। गोष्ठी का सुंदर व सफल संचालन हिंदी सांसद डॉ मुक्ता कौशिक ने किया तथा डॉ गोकूलेश्वर कुमार द्विवेदी ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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