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मानसुन


सिमेंट का मायाजाल
पौधो का बुरा हाल,
कैसे ना बिगडे 
मानसुन की चाल।

सुखी नदी सुखे ताल
उँची उँची ईमारतो के जाल,
कैसे ना बिगडे 
मानसुन की चाल।

जागो ए मुसाफिर 
कुछ कर ख्याल,
पानी बचा
पेड संभाल।

फिर आ पायेंगे
घनघोर मेघ 
नाच उठेंगे मोर,
चारो ओर मचेगा
तब हर्षित शोर।

- विवेक असरानी
नागपुर (महाराष्ट्र)
काव्य 9152321395264076737
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