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वृक्ष हमारे लिये वरदान स्वरूप है : रति चौबे


वृक्षों के महत्व पर अखिल भारतीय ब्राह्मण महिला जागृति मंच की हुई परिचर्चा 

नागपुर। अखिल भारतीय ब्राह्मण महिला जागृति मंच द्वारा वेबीनार मे ऑक्सीजन देने वाले वृक्षों के महत्व पर एक रोचक परिचर्चा की गयी। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि रही हेमलता मिश्र 'मानवी' वरिष्ठ कवि साहित्यकार, संपादिका एवं विशिष्ट अतिथि रही समाजसेविका, उत्तराखंड युवा प्रतिनिधि मंच की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तनु खुल्बे।


कार्यक्रम की शुरुआत में रति चौबे, अध्यक्ष ने कहा कि मानव जीवन में वृक्षों का बहुत महत्त्व है, यदि पर्यावरण में आक्सीजन नहीं होगी तो हम सांस कैसे लेंगे। आज जब कोविड का कहर सबकी मौत का कारण है, आक्सीजन के लिए हमे साधन क्यो जुटाने पड़ रहे हैं, जबकि प्राकृतिक रूप से ऑक्सीजन देने के लिए वृक्ष हमारे लिये वरदान स्वरूप है और शहरीकरण के लिए मूर्ख उन्हें ही काट रहे हैं, पीपल, बरगद, नीम, बांस, अशोक आक्सीजन दाता है। प्रकृति विचलित हो बोल रही है - हम ले प्रण, तभी बचेंगे प्राण, वृक्षों को रखो सलामत। 

शशी भार्गव 'प्रज्ञा' ने कहा मनुष्य जीवन का निर्माण पंच महाभूतो से हुआ है। प्राणवायु के बिना हम एक क्षण भी जीवित नहीं रह सकते, इसका सीधा संबंध पर्यावरण के पंच महाभूतो से है। जल, वायु, अग्नि, आकाश, पृथ्वी एवं पर्यावरण पर एक सुंदर कविता प्रस्तुत की। 

डा.शीला भार्गव ने कहा वृक्ष मनुष्य के प्राण के आधार है, उन्हीं से सांसे संचालित है। वृक्षों को काटना यानि मनुष्य जीवन का विनाश करना है। 

प्रिती पांडे ने उत्तराखंड के चिपको आंदोलन का उदाहरण दे कहां मातृशक्ति गुठली बो रही, होंगे जिस दिन मेरे बाल सफेद, उस दिन आम रसीले वृक्षों पे होगें। 

प्रियंका पांडे ने मार्मिकता से कहा कोरोना ने हमें वृक्षों का महत्व बताया है, जब मेरे पति कोरोना से पीड़ित हुए तब एक लाख रुपये देकर हमें आक्सीजन प्राप्त हुई। उन्होंने कहा - जीवन का आधार ही वृक्ष हैं, ये हमारे मित्र तुल्य है। 

माधवी शर्मा 'गुंजन' ने भी अपने विचार व्यक्त किए। विशिष्ट अतिथि तनु खुल्बे ने संस्था के कार्यक्रम की सराहना की और कहा - बहुत हुई नादानियाँ, अब समझने का प्रयास करते हैं, जो दिया है प्रकृति ने हमें, उसका धन्यवाद करते हैं। अगर हमें स्वस्थ रहना है तो आइये खुद से वादा करें, ये संकल्प लें कि हम किसी भी तरह से प्रकृति को नुकसान नहीं पहुचाएंगे। 

24 घंटे ऑक्सीजन देने वाले पीपल, नीम आदि जैसे 10 वृक्ष हम लगायेंगे तथा बच्चों को कागज बचाने की शिक्षा दें। क्योंकि कागज बनाने के लिये भी वृक्षों को काटा जाता हैं और बच्चे कॉपियो में कुछ पन्नो का उपयोग करते हैं और बाकी खाली छोड देते हैं। उन्हे बचे खाली पन्नो को रफ वर्क के लिए उपयोग में लाना चाहिये। वृक्षों के संरक्षण के लिए कागज बचाना भी जरूरी है। एक नन्हे बालक 

उत्कर्ष चौबे ने बहुत ही सारगर्भित बात कही कि भूटान एक खुशनुमा देश है जो एकमात्र कार्बन नेगेटिव है, वहां जितने लोग रहते हैं उनसे अधिक वहां वृक्ष हैं। वहां वृक्षों को काटा नहीं जाता, मेरी नज़र में वृक्ष काटने वाला 'देशद्रोही' है। 

मुख्य अतिथि हेमलता मिश्र 'मानवी' ने अंत में एक संदेश देते हुए कहा कि वृक्षों का सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक महत्व है - दश: कूप समो वापी, दश: वापी समो हद:, दशो हद: समो पुत्र:, दशो पुत्र: समो दुम:। 

संस्थापिका रेखा चतुर्वेदी ने सबको धन्यवाद दिया। संचालन सुनीता शर्मा ने बहुत खूबसूरती से व सधा हुआ किया और आभार जयमाला तिवारी ने प्रभावशाली अंदाज में  दिया। रेखा पांडे कार्यक्रम की होस्ट रही, बड़ी ही कुशलतापूर्वक कार्यक्रम संभाला। 

शीला दुबे, मयूरी गाडगे विशेष रूप से उपस्थित रहीं। सभी के वृक्ष लगाने व लगवाते रहने का संकल्प लेते हुए कार्यक्रम का समापन किया गया।
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