बाघ संरक्षण परियोजना में पैदल गश्त और निगरानी जरूरी : श्री भगवान
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एशियाटिक बिग कैट सोसायटी, वनराई फाउंडेशन एवं रोटरी ईलीट का वेबिनार
नागपुर। जब किसी क्षेत्र को 'बाघ परियोजना' के रूप में चिह्नित किया जाता है, तो संरक्षण के लिए पहला कदम अनावश्यक मानवीय हस्तक्षेप से बचकर बाघों की रक्षा करना होता है। बाघों, वन्य जीवों और शिकारियों की गतिविधियों पर नजर रखना बेहद जरूरी है। इसका सबसे अच्छा तरीका है पैदल गश्त होता है। श्री भगवान, महाराष्ट्र प्रशासनिक न्यायाधिकरण और वन विशेषज्ञ ने कहा, भारत में इस प्रकार की गश्त दुर्लभ है और इस पर जोर दिया जाना चाहिए।
श्री भगवान अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर एशियाटिक बिग कैट सोसाइटी और वनराई फाउंडेशन द्वारा आयोजित 'टाइगर प्रोजेक्ट कंजर्वेशन इंफॉर्मेशन' पर आयोजित एक वेबिनार में बोल रहे थे।
उन्होंने आगे कहा कि ऐसी स्थिति में हट पेट्रोलिंग सिस्टम बाधा उत्पन्न कर सकता है, इसलिए पैदल गश्त व्यवस्था का प्राथमिकता से पालन किया जाना चाहिए।
सुनील लिमये, आईएफएस पीसीसीएफ (वन्यजीव) ने कहा कि चूंकि वन्यजीवों का उनका अस्तित्व जंगल पर निर्भर है, इसलिए उन्हें अपने स्थान पर रखना अपना कर्तव्य है। जलाऊ लकड़ी, तेंदूपत्ता आदि लेने के लिए जाने वाले लोग जब वन्य जीवों के आवास पर अतिक्रमण करते हैं तो यह वन्यजीवों के अस्तित्व पर हमला है।
आज बाघ संरक्षण दिवस का एकमात्र संदेश बाघों के आवास और उनके स्थान को अक्षुण्ण रखना है। वन विभाग की ओर से नियमित जन जागरूकता करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि बाघों की आबादी में वृद्धि सुनिश्चित करती है कि वन्यजीव सुरक्षित हैं।
नागपुर रेंज के विशेष आईजी चिरंजीव प्रसाद ने कहा कि पुलिस विभाग और वन विभाग के बीच बेहतर तालमेल के लिए वन्य जीव संरक्षण की पूरी जांच और अभियोजन को संस्थागत बनाया जाए।
अपराधी को गिरफ्तार करने, ऐसे मामलों की देखभाल करने और उन पर मुकदमा चलाने के बीच समय बचाने के लिए वन्यजीव अधिनियम के तहत सजा में कुछ संशोधन का सुझाव दिया गया है। उन्होंने कहा कि अपराधियों के कुकृत्यों पर रोक लगनी चाहिए।
वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ. परमेष पंड्या ने कहा कि बाघ परियोजना की सफलता के लिए वन समुदायों का पुनर्वास करना और उनका सहयोग लेना आवश्यक है। इस समुदाय के लिए रहने की वैकल्पिक सुविधा प्रदान करने के लिए गृह अर्थशास्त्र का अध्ययन किया जाना चाहिए। अतिरिक्त महानिदेशक (कारागार) सुनील रामानंद ने भी अपने विचार साझा किए।
इस अवसर पर बाघ संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले वनकर्मियों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वनराई फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. गिरीश गांधी ने की।
कार्यक्रम का संचालन एशियाटिक बिग कैट सोसायटी के अजय पाटिल ने किया। आभार रोटरी क्लब आॅफ नागपुर ईलीट के अध्यक्ष शुभंकर पाटील ने व्यक्त किया।





