साहित्य सम्राट प्रेमचंद की १४१ वीं जयंती सोल्लास संपन्न
https://www.zeromilepress.com/2021/08/blog-post.html
श्री बिंज़ाणी सिटी एवं वीएमवी महाविद्यालय के संयुक्त उपक्रम
नागपुर। सक्करदरा स्थित 'नागपुर शिक्षण मंडल द्वारा संचालित श्री बिंज़ाणी सिटी एवं वर्धमान नगर स्थित श्री नागपुर गुजराती मंडल' द्वारा संचालित वी एम् वी महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार, ३१ जुलाई २०२१ को हिंदी उपन्यास सम्राट प्रेमचंद के १४१ वें जन्म - दिवस आभासी मंच पर 'प्रेमचंद जयंती - साहित्यिक पर्व' के रूप में मनाया गया।
श्री बिंजाणी सिटी महाविद्यालय के प्राचार्य एवं इस जयन्ती - समारोह के निदेशक डॉ. सुजीत मैत्रे सर ने वी. एम. वी. महाविद्यालय के एम.ए. हिंदी विभाग के विद्यार्थियों द्वारा विद्यार्थी वक्ता के रूप में अपनी सहभागिता करने के प्रयास की सराहना करते हुए कहा, "धनपतराय से प्रेमचंद तक का सफ़र भारत की आंतरिक यात्रा का सफ़र है |
सोज़े वतन, शतरंज के खिलाड़ी आदि प्रेमचंद की कोई भी चना भारत की तत्कालीन परिस्थियों को बड़ी ईमानदारी से चित्रित करती है । जिन्होंने प्रेमचंद को नहीं पढ़ा, उन्होंने हिंदुस्तान को नहीं समझा।"
रेवाबेन मनोहर भाई पटेल गर्ल्स कॉलेज की प्रोफेसर एवं हिंदी विभागाध्यक्ष तथा महाराष्ट्र हिंदी साहित्य अकादमी की पूर्व सदस्य डॉ मधुलता व्यास जी ने अपने प्रमुख अतिथि वक्तव्य में कहा - "प्रेमचंद जी ने शोषित वर्ग पर किये गये अन्याय एवं शोषण के दृश्यों को अपने उपन्यासों एवं कहानियों में मन को झकझोरने वाली दृश्य बिम्बात्मक शैली में अत्यंत मार्मिक रीति से उकेरा है।
उनकी कृतियाँ कालजयी हैं और सदा ही समाज का पथ निर्देशित करनेवाली हैं।
"समारोह के संरक्षक संत गाडगेबाबा अमरावती विश्वविद्यालय के पूर्व कुलगुरु एवं वी. एम. वी. के प्राचार्य डॉ. मुरलीधर चांदेकर जी ने अध्यक्षीय वक्तव्य में प्रेमचंद के व्यक्तित्व की विशेषता को रेखांकित करतेहुए कहा, "प्रेमचंद केवल साहित्यिक दृष्टि के रचनाकार नहीं थे, अपितु वे एक सामाजिक और राजनीतिक चिंतन युक्त साहित्यकार थे। गांधीवादी दर्शन से युक्त उनका कृतित्व निश्चित रूप से विद्यार्थियों हेतु प्रेरणास्तम्भ का कार्य करेगा।"
पूना के हिंदी साहित्यकार एवं आकाशवाणी केंद्र के पूर्व निदेशक डॉ. सुनील देवधर जी ने अत्यंत प्रभावी रीति से प्रेमचंद जी के जीवन के उर्दू लेखन, हिंदी लेखन, फ़िल्मी लेखन आदि विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा - "प्रेमचंद को व्याख्यायित करना हो तो सामाजिक जीवन की विशालता, सामजिक अन्याय का घोर विरोध, अभिव्यक्ति का खरापन, पात्रों की विविधता, मानवीय मूल्यों की संवेदना और मित्रता और किसानों का मसीहा इन सारे वैशिष्ट्यों का एकरूपीकरण याने प्रेमचन्द।"
प्रेमचन्द जयंती साहित्यिक पर्व में विद्यार्थी वक्ताओं में डॉ. मृदुल सोनक (विषयः प्रेमचंद का व्यक्तित्व एवम औपन्यासिक कृतित्व), प्रा.मिताली काशीकर (प्रेमचंद के उपन्यासों की शिल्पगत विशेषताएँ), प्रा. दर्शना खोरगड़े (विषयः प्रेमचंद की कहानियों में शोषित वर्ग की प्रधानता), परेश श्रीवास्तव (विषय:प्रेमचंद की कहानी 'बूढ़ी काकी"),
प्रा. जागृति सेजपाल (प्रेमचंद की कहानियों में हिन्दू-मुस्लिम एकता के स्वर) ने विभिन्न विषयों पर प्रभावकारी प्रस्तुति की। समारोह का प्रास्ताविक स्नातकोतर हिंदी विभागाध्यक्षा एवं संयोजक डॉ. सोनू जेसवानी ने रखा।
प्रमुख अतिथि परिचय सह समन्वयक डॉ. प्रियंका पंडित ने अतिथियों का परिचय दिया। सुचारू संचालन समन्वयक डॉ. सुधा जांगिड़ तथा आभार दर्शन सह संयोजक प्रा. दिलीप गिरहे ने किया। कार्यक्रम सफलतार्थ कम्प्युटर विभाग प्रमुख प्रा. पारस वाढेर तथा प्रा. मेहुल घिया ने अथक प्रयास किए।
