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तोता-मैना : माया महा सयानी साधो


तोता ने गहन विचार करते हुए मैना से कहा –‘ महात्मा कबीर ने पता नहीं क्या सोचकर गाया होगा यह निरगुनिया भजन कि माया महा ठगिनी हम जानी । तिरगुन फाँस लिए कर डोरे, बोले मधुरी बानी?’ मैना ने चहकते हुए कहा – ‘ तुम किस माया की बात कर रहे हो तोते?’ तोता ने कहा – ‘ सवाल किया तो यह जवाब दे दो कि तुम किस किस माया को जानती हो मैना, फिर मैं तुम्हारे सवाल का जवाब भी दे दूंगा.'

मैना अपनी चोंच को पेड़ की डाल पर ठोकते हुए बोली – ‘ वैसे तो माया के रूप में ईश्वर की माया को ही लोग ज्यादा महत्व देते हैं और मैंने मनुष्यों को अक्सर कहते सुना है कि ईश्वर की माया कहीं धूप कहीं छाया. एक बार मैंने एक मनुष्य को गाते हुए सुना था कि अजब तेरी कारीगरी है करतार, माया तेरी बदले रंग हजार. एक बार मैं मनुष्यों के सिनेमाघर में रहती थी तो एक फिल्म देखने का सौभाग्य मिला था जिसका नाम था – माया मेम साब, वैसे भारत में एक माया वह हैं जिनका पूरा नाम तो मायावती है लेकिन लोग प्यार से माया कहते हैं. वह उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. तुम कहो तो गूगल गुरू से पूछकर बहुत सारी माया के बारे में बता सकती हूं. अरे हाँ, याद आया, मनुष्य लोग रुपया पैसा और धन दौलत को भी माया कहते हैं. रामायण महाभारत और पुराणों में राक्षसों के छल-कपट को भी माया कहा गया है. ब्रह्म और जीव के बीच में भी एक माया रहती है जो ब्रह्म के इशारे पर संसार को चलाती है.’

तोता ने अपनी चोंच को चबाते हुए कहा-‘ बस बस मैना बस, अब मैं और अधिक माया के बारे में सुनना सह नहीं पाऊंगा. मैं तो उस माया के बारे में सोच रहा था जिसको कबीर महा ठगिनी कह गए हैं, तुम तो उनसे भी आगे निकल गई.’ मैना ने सिर सीधा करके कहा – ‘ वैसे तो मैंने वन- बगीचों में, स्कूल – विश्वविद्यालयों में, चोरों डकैतों लुटेरों में, ठगों -बदमाशों में, व्यापारियों- उद्योग पतियों में, नेताओं व नौकरशाहों में माया के अनेक रूप देखें हैं. सुनने की इच्छा हो और कहो तो आज बोल दूं मैं सारे भेद खोल दूं?’ तोता को ऐसा लगा जैसे मैना के इस मायावाद को बर्दाश्त नहीं कर पाएगा और चक्कर खाकर पेड़ की डाल से गिर जाएगा. 

अपने को संभालते हुए तोता ने कहा –‘ जब तुमने छेड़ ही दिया है तो अब तुम्हारे ज्ञान तन्तुओं को शान्त करने के लिए मुझे मुद्दे की बात पर आना ही पड़ेगा.’ मैना ने मुस्कराते हुए कहा – किस मुद्दे पर आओगे तुम?  आज कल तो दो ही मुद्दे हैं, एक मुद्दा है चुनाव का और दूसरा मुद्दा भी है चुनाव का.’ तोते ने कहा –‘ जब मुद्दा दोनों ही चुनाव का है दो मुद्दे कैसे हो गए, क्या पहेली बुझा रही हो?’  तोते ने मैना के पराक्रम तारीफ़ करते हुए कहा –‘ माया की माया से तो मेरा दिमाग चकरा गया, अपने को संभालने के चक्कर में मैने महात्मा कबीर को पकड़ा तो भजन याद आया कि माया महा ठगिनी हम जानी.’ 

मैना ने तोते की चोंच सहलाते हुए कहा –‘ तुम राजनीति के मामले में कच्चे हो तोताराम, कबीर वाली माया भले महा ठगिनी होगी लेकिन राजनीति की माया तो महा सयानी है. सयानी को ठगिनी कैसे कहा जा सकता है?’ तोता ने कहा – ‘ आज मुझे मेरी तोती की बहुत याद आ रही है, उसने कभी मुझसे कहा था कि तुम मैना के चक्कर में रहोगे तो मैं अपना घोसला अलग बना लूंगी, और उसने किया भी ऐसा ही. तुम भी बहुत दिनों तक मुझसे दूर हो गई और मैं पप्पू बन कर इधर उधर भटकता रहा. आज तुम फिर से मिली हो तो तोती की याद सता रही है, क्यों?’ मैना ने तोते को सांत्वना देते हुए कहा – ‘ तुम मेरे भरोसे मत रहना तोते, तुम तो किसी न किसी से गठबंधन कर ही लेना, वरना अभी पप्पू बनकर भटक रहे हो, आगे चलकर गप्पू हो जाने का खतरा मुझे साफ साफ दिख रहा है.’

परमात्मानंद पांडेय ‘ मतवाला‘

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