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हिन्दी में रोजगार की अनंत संभावनाएं : प्रो. बिसेन


कौशल परक हिन्दी विषयक राष्ट्रीय कार्यशाला का सम्पन्न

नागपुर। वर्तमान पीढ़ी के सामने जीवनयापन के लिए रोजगार प्राप्त  करना सबसे बड़ी चुनौती है। यह हम सबके लिए चिन्ता और चिन्तन का विषय होना चाहिए कि विद्यार्थी किस तरह रोजगार परक कौशल प्राप्त करें। हिन्दी में रोजगार की अनंत संभावनाएं हैं। उक्त विचार  स्वामी रामतीर्थ मराठवाड़ा विश्वविद्यालय के प्र-कुलगुरु प्रो. जोगेन्द्र सिंह बिसेन ने व्यक्त किए। 

वे राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर के हिन्दी विभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला के समापन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि किसी भी भाषा में जब तक रोजगार देने की क्षमता विकसित नहीं होती तब तक उसकी स्वीकार्यता नहीं बढ़ती। हिन्दी भाषा में सामर्थ्य है, बस उसमें दक्षता प्राप्त करना होगा।

प्रो. बिसेन ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्वभाषा और कौशल को बहुत अधिक महत्त्व दिया गया है। भाषा में कौशल विकास से व्यक्तित्व का विकास होता है। हिन्दी भाषा इस दृष्टि से बहुत सक्षम और प्रगत भाषा है। हमें इसकी संभावनाएं को समझना होगा।

विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में सम्पन्न हुई ज्ञान की दिवाली : प्रो. वाटमोडे
मानविकी संकाय के अधिष्ठाता डॉ. दत्तात्रेय वाटमोडे ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि भाषा की शक्ति को हम समझें। भाषा में अभूतपूर्व रोजगार और प्रतिष्ठा के गुण विद्यमान हैं। बस हमें भाषा में दक्षता अर्जित करनी होगा। हिन्दी विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यशाला की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन प्रतिभागियों के लिए बहुत ही सार्थक सिद्ध हुआ है। 

इसके पूर्व राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग के अध्यक्ष डॉ. मोइज हक ने ‘ खबर कैसे बनती है' विषय पर समाचार लेखन के विविध पक्षों पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि मानवीय संवेदना से युक्त असाधारण व परिणामकारी घटनाओं से खबरें बनतीं हैं। घटनाओं का सरोकार सीधे मानव या समाज से होता है। इसलिए मानव-जीवन से जुड़ी सामाजिक, धार्मिक, शैक्षिक, वैज्ञानिक, खेल, मनोरंजन, पर्यावरण आदि से संबंधित घटनाओं पर समाचार बनते हैं। डॉ. हक ने आगे कहा कि समाचार का मूल संबंध निकटता से होता है।  यह निकटता भौतिक हो सकती है और भावनात्मक भी। उन्होंने समाचार लेखन के विविध पक्ष, संपादकीय, आलेख आदि के संबंध में बहुत ही महत्वपूर्ण गुर सिखाए। 

दूसरे सत्र को सम्बोधित करते हुए मणिबेन नानावटी महिला महाविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. रवीन्द्र कात्यायन ने 'न्यू मीडिया की हिन्दी- ब्लॉग, फेसबुक, यूट्यूब, ट्विटर' विषय पर लेखन कला से प्रतिभागियों को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि भाषा या साहित्य के विद्यार्थी तकनीक से जुड़ते हैं तो वे अपना भविष्य संवार सकते हैं। साहित्य के विद्यार्थियों में अभिव्यक्ति का कौशल अधिक होता है। इसलिए अपने विचारों को ब्लॉग आदि के माध्यम से प्रसारित करें। कथा, कहानी, कविता, संस्मरण, आलेख, व्यंग्य जैसी अनेक विधाओं को हम अपने ब्लॉग और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से जन-जन तक पहुंचा सकते हैं। आज इनके तकनीकी पहलुओं को समझते हुए रोजगार  प्राप्त किया जा सकता है।डॉ. रवीन्द्र कात्यायन ने सोशल मीडिया और ब्लॉग लेखन से सम्बन्धित बारीकियों को बहुत रोचक ढंग से परिचित कराया।

स्वागत उद्बोधन और कार्यशाला की संकल्पना प्रस्तुत करते हुए हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज पाण्डेय ने कौशल विकास की आवश्यकता और उद्देश्य को रेखांकित किया। सहायक प्राध्यापक डॉ. संतोष गिरहे ने अतिथियों का आभार माना। कार्यशाला का प्रतिवेदन प्रा. लखेश्वर चन्द्रवंशी ने प्रस्तुत किया तथा  संचालन डॉ. सुमित सिह ने किया। 
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