महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा के 'मेरी कहानी' में बोध कराती कहानियां


नागपुर। महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा के चिंतन कक्ष में 13 नवम्बर को शाम छै बजे 'मेरी कहानी' में अध्यक्षता करते हुए प्रकाश काशिव ने कहा की आज की प्रस्तुत सभी कहानियां आसपास के प्रसंगों को समाहित करती हुई वैचारिक और बोध कराती थी।

तेजवीर सिंह ने 'सातवां दिन' कहानी में स्त्रियों की शंका से टूटती पारावारिक रिश्तों को लेकर थी। डाँ. विजय कुमार श्रीवास्तव ने 'कहानीकार की कहानी' में ईमानदार पत्रकार की नेता व पोलिश द्वारा सताए जाने को केंद्र में रख कई प्रश्न सामने लाए।

डा शशि वर्धन शर्मा 'शैलेश' ने ग्राहक व विक्रेता के समाधान में रख बाजार की बिक्री  व्यवस्था के नए तरीके को 'समाधनी दोनों' में प्रस्तुत किया। नरेन्द्र परिहार ने 'नदी सागर का प्राकृतिक अनोखा मिलन' में कोरोना काल की विभितिसिका के साथ बदलते सामाजिक समीकरण को प्रस्तुत किया। हर्षवर्धन बुद्दाला ने आभार व्यक्त किया और विजय कुमार श्रीवास्तव ने संचालन किया।

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