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ज्योत से ज्योत जलाते चलो, प्रेम की गंगा बहाते चलो


रक्तदाता दिवस पर सिंधु युवा फ़ोर्स के 'ईश-दूतों' का हृदयस्पर्शी नव-संकल्प

नागपुर। नागपुर की जरीपटका स्थित मानव कल्याणकारी सिंधु युवा फ़ोर्स के अप्रतिम कार्यों को अब किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। यह संस्था अब न केवल एक नाम, बल्कि मानव सेवा की 'परिभाषा' बन चुकी है। संस्था के गठन की कहानी शुरू होती है एक दृढ़-निश्चयी किन्तु भावुक युवा गुड्डू केवलरामानी की मानसिक वेदना से... जिसने लगभग 15 वर्ष पूर्व देखा कि समय रहते रक्त नहीं मिलने की वजह से कई लोग अकाल मृत्यु का शिकार हो जाते हैं। ऐसे समाचार सुनकर वह युवक द्रवित हो जाता था। लेकिन वह अकेला कर भी क्या सकता था...? 

गुड्डू के ही शब्दों में - 'जब मैंने इस सम्बन्ध में अपने मित्रों से चर्चा की, तो सभी सहर्ष ही एक ऐसी संस्था के गठन के लिए तैयार हो गए, जिसका उद्देश्य अन्य सामाजिक कार्यों के साथ ही मुख्य रूप से शिविरों का आयोजन कर, संकलित रक्त ज़रूरतमंदों तक पहुंचाना हो। इस तरह से 'सिंधु युवा फ़ोर्स' का गठन हुआ, जिसने विगत डेढ़ दशक में बरगद का स्वरूप ले लिया है। इस मानवीय कार्य में हमें नित नए सहयोगी मिलते जा रहे हैं और इस विशाल वृक्ष की शाखाएं निरंतर विस्तारित हो रही हैं। हमारे समस्त कार्यकर्ता अथक परिश्रम कर रहे हैं। संस्था की ओर से अब तक ऐतिहासिक स्तर पर कार्य किया जा चुका है, जो सर्वविदित है। 

केवलरामानी ने बताया कि जब सभी कार्यकर्ता विशेष प्रार्थना-सभा का आयोजन कर, ईश्वर से हृदयस्थ याचना करते हैं - 'इतनी शक्ति हमें देना दाता, तुम्हारे बंदों के प्राण बचा सकें' तो उनकी यह सामूहिक कातर पुकार सुनकर सभा में उपस्थित सभी की आंखें भर आती हैं। अब, जबकि समूचा विश्व, विशेषतः भारत अराजकता के भयंकर दौर से गुज़र रहा है, हमने नव-संकल्प लिया है -- "ज्योत से ज्योत जलाते चलो, प्रेम की गंगा बहाते चलो"...! इसमें सर्वधर्म समभाव एवं मानवता का संदेश सन्निहित है। उन्होंने कहा कि वैसे तो जान देना और लेना विधाता के हाथों में है, किन्तु ऐसे प्रयास तो किए जा सकते हैं कि किसी की भी अकाल-मृत्यु संसाधनों के अभाव में न हो। 

सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है रक्त, जिसकी भीषण कमी गर्मी के मौसम में हो जाती है। ब्लड बैंकों एवं अस्पतालों में ख़ून ख़त्म हो जाता है। इस विषम स्थिति में अपार धन भी काम नहीं आता और थैलेसीमिया, कैंसर, सिकलसेल जैसे रोगों से ग्रस्त मरीज तड़प-तड़पकर दम तोड़ देते हैं। बड़े से बड़े चिकित्सक भी विवश हो जाते हैं। पुराने दिनों को याद कर उन्होंने कहा, प्रारंभ में कठिनाइयां अवश्य आईं, लेकिन सिंथु युवा फ़ोर्स के कार्यकर्ताओं के अडिग हौसले एवं उद्देश्य की महानता को देखते हुए असंख्य कार्यकर्ता व संगठनों सहित महानगर और आसपास के वरिष्ठ डॉक्टर, ब्लड बैंक इस पवित्र अभियान से जुड़ते गए। र

क्त के वितरण में धर्म, जाति, भाषा, क्षेत्र आदि का भेदभाव नहीं करते हुए, सिंधु युवा फ़ोर्स केवल "इंसानियत" को सर्वोपरि मानती है। केवलरामानी ने बताया कि संकलित रक्त शासकीय मेडिकल कॉलेज व लाइफ लाइन ब्लड बैंक को रक्त दिया जाता है। महिलाओं के लिए रक्तदान की अलग व्यवस्था के साथ सभी रक्तदाताओं के लिए भोजन का प्रबंध किया जाता है। अंत में केवलरामानी ने सभी से आह्वान किया कि न केवल विश्व रक्तदान दिवस 14 जून को, बल्कि हर दिन, हर पल इस महान कार्य में सहयोग देकर, ईश्वर के आशीर्वाद का सहभागी बनें। 

उल्लेखनीय है कि इस पावन की सफलतार्थ ओमप्रकाश बतरा, महेश केवलरामानी, प्रदीप बालानी, राकेश खुशालानी, एड. कमल आहूजा, सुंदर मूलचंदानी, मुकेश चौधरी, सुनील बिखानी, पिंकी केवलरामानी, सोनू चेलानी, मोहन मूलचंदानी, कुमार खुशालानी, दीपक वाधवानी, संजय हेमराजानी, प्रकाश केवलरामानी, राजेश साधवानी, जगदीश केवलरामानी, प्रकाश आनंदानी, जीतू लालवानी, मयूर क्रिशनानी, गुल वासवानी, तुलसी सचदेव, दिलीप मीरानी, धवल वीधानी, नंदलाल जयसिंघानी, प्रकाश लालवानी, पीयूष हासनानी, इंद्रकुमार खिलवानी, नरेश आलवानी, किशोर रुचवानी, टोनी मूलचंदानी, दीपक आडवानी, प्रदीप चावला, नितिन ढोलवानी, नंदलाल वासवानी,  विनोद जयकल्यानी, दिनेश केवलरामानी, रोहित चौधरी, महेश लालवानी, मनोज जानियानी, चेतन उतवानी, सुनील मोटवानी, अमर कटारिया, नितिन गोधानी, राजेश भट्ट आदि स्वयंसेवी सदैव प्रयासरत रहते हैं।
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