नव वर्ष चिंतन
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उत्साह नहीं कुछ
नववर्ष के आने जाने का,
उत्सव मनाने का।
यह तो अवसर है,
उम्र के अनुभवों से, कुछ सीखने का
क्या पाया, क्या खोया के चिंतन का।
और अब क्या देकर जाना है
के। विचार का।
अंतिम समय में कुछ बातें
भूल जाने का,और कुछ
स्मरण रखने का।
बचे समय को,
जीवन को सार्थक करने का,
सर्वे सुखिनः संतु,सर्वे संतुनिरामयः
सर्वे भद्राणि पश्यंतु,मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्
की प्रार्थना सबके लिए करने का,
अपने स्व को
सब में समर्पित करने का।
समर्पण का।
- प्रभा मेहता, नागपुर, महाराष्ट्र