श्रीमद भगवद गीता सम्पूर्ण मानवता के लिये प्रेरणादायी
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गीता को जीवन का सारथी और साथी बनायें
स्वामी ग्यानानंदजी द्वारा दिव्य गीता सत्संग में आह्वान
नागपुर. महाराष्ट्र राज्य अग्रवाल सम्मेलन, नागपुर जिला इकाई की ओर से विगत दिवस सुरेश भट सभागृह में सैकड़ों धर्म एवं अध्यात्म प्रेमी नर नारियों की उपस्थिति में दिव्य गीता सत्संग सम्पन्न हुआ जिसमें विख्यात गीता मनीषी - महामण्डलेश्वर स्वामी ग्यानानंदजी ने श्रीमद भगवद गीता में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा प्रतिपादित प्रेरणादायी संदेशों की सरल शब्दों में अपनी ओजस्वी वाणी से गहन मीमांसा प्रस्तुत की. सत्संग के आरंभ में संक्षिप्त स्वागत समारोह के उपरांत जब ग्यानानंदजी ने अपनी मधुर ओजस्वी वाणी से प्रवचन प्रारम्भ किया तो सभागृह में कुछ क्षणों की करतल ध्वनि के बाद समस्त श्रोता एकचित्त शांत होकर ग्यानानंदजी के प्रत्येक शब्द संदेश को ग्रहण करने लगे. स्वामीजी ने श्रीमद भदवद गीता को सम्पूर्ण मानव जाति के कल्याण के लिये प्रेरणाओं का आयोजन निरुपित किया. उन्होंने कहा कि श्रीमद भगवद गीता ना केवल हिंदुओं तथा भारत का एक महान गौरव ग्रंथ है बल्कि समस्त विश्व के लिये, मानवता के लिये महान प्रेरणाओं से भरा हुआ है. यह हमारी परम आस्था का वह मानबिंदू है जिसपर हमें सदैव गर्व होना चाहिये.
इस महाग्रंथ में कहीं कोई संकीर्णता या भेदभाव नहीं है. गीता के संदेश छोटे-बड़े, अमीर-गरीब, राजा-रंक सब के लिये समान हैं. गीता में वर्णित प्रत्येक सिद्धांत सार्वभौमिक महत्व के हैं जिसे महाभारत के युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण ने दिग्भ्रमित हो रहे पांडवपुत्र अर्जुन को मार्गदर्शित करते हुये समझाये थे. भगवान श्रीकृष्ण ने युद्ध के मैदान में अपने विराट रूप का दर्शन कराते हुये कहा था कि जब जब धर्म अर्थात मानवीय सिद्धांतों-मूल्यों को हानि पहुंचाने का प्रयास होता है तब तब मैं इनकी रक्षा के लिये अवतार लेता हूं. धर्म का अर्थ यहां किसी मजहब से नहीं, किसी पंथ से नहीं बल्कि मानव व्यवहार के परम मूल्यों और सिद्धांतों से है जीवन को सार्थक मूल्य प्रदान करते हैं. स्वामीजी ने अनेक उदाहरणों से गीता के उपदेशों को समझाते हुये कहा कि हमारे आचरण दूसरों के लिये आदर्श बनने चाहिये. हिंदू सनातन परंपरा में मनुष्यों के बीच भेदभाव का नहीं समता-समरसता का संदेश दिया गया है.
स्वामी ग्यानानंदजी ने आगे कहा कि श्रीमद भगवद गीता के संदेश प्रत्येक के लिये प्रेरणाओं से भरा है. चाहे विद्यार्थी हो या शिक्षक, नर हो या नारी, युवा हो या बुजुर्ग, व्यापारी हो या किसान या हो राजनेता. सभी के लिये गीता के संदेश अनुकरणीय हैं और उन्नति उत्कर्ष की ओर ले जानेवाले हैं. स्वामीजी ने कहा कि जीवन में उन्नति या विकास के लिये एकाग्रता का होना आवश्यक है. हमारा मन बहुत चंचल है, वह एक जगह नहीं ठहरता. मन और शरीर को एक करते हुये हमें अभ्यासपूर्वक कोई कार्य करना चाहिये. सफलता निश्चित है. परिवार में संस्कारों के महत्व को प्रतिपादित करते हुये ग्यानानंदजी ने कहा कि ग्यान और विग्यान के उपयोग में संस्कारों का साथ होना चाहिये. एक हाथ में मोबाईल फोन हो और एक हाथ में किताब हो तो एकाग्रता कठिन है. बच्चों को इस स्थिति से बचाना होगा.
मानव जीवन का लक्ष्य क्या हो ? इस पर ग्यानानंदजी ने कहा कि जीवन को नेक तरीकों से जीना चाहिये और इस लोक में भी सुकीर्ति प्राप्त करते हुये पुण्यकार्यों से परलोक को भी सुधारना चाहिये. स्वामीजी ने आगे प्रतिपादित किया कि प्रत्येक मनुष्य जीवन में शांति चाहता है. शांति शरीर का नहीं मन का विषय है. शांति कोई भौतिक वस्तु नहीं है जिसे हम बाजार में खरीद लें. भगवद गीता में जीवन में शांति पाने के सुगम सरल उपायों को विषद किया गया है. शांति की प्राप्ति के लिये हमें अपने मन को परमात्मा के साथ जोड़ना होगा. भगवद गीता को संसार के लिये व्यवहारिक, वैचारिक और वैग्यानिक ग्रंथ निरुपित करते हुये ग्यानानंदजी ने सभी से इसका नित्य अध्ययन करने की अपील करते हुये जीवन में सफलता की ओर अग्रसर होने की कामना की. श्रीमद भगवद गीता में उल्लेखित अनेक श्लोकों का उच्चारण करते हुये स्वामीजी ने श्रीकृष्ण अर्जुन के बीच हुये वार्तालाप को सहज शब्दों में समझाया. उन्होंने बताया कि भगवान या परमात्मा का कोई विकल्प नहीं है. करोड़ों रुपये खर्च करके भी हम शांति नहीं पा सकते परंतु परमात्मा के चरणों में कुछ पल लगाने से सी हम शांति पा सकते हैं. लगभग नब्बे मिनट के अपने सारगर्भित प्रवचन में ग्यानानंदजी ने लोगों से कहा कि आज के इस भौतिक वैग्यानिक युग में भी आध्यात्म की डोर थामकर जीवन में आगे बढ़ें और मन को मजबूत बनाने के लिये श्रीमद भगवद गीता को जीवन में अपना सारथी और साथी बनायें! गीताजी की आरती और प्रसाद के साथ सत्संग का समापन हुआ.
दिव्य गीता सत्संग के इस अनूठे आयोजन में जीओ गीता संगठन के अंतराष्ट्रीय महामंत्री तथा अ. भा. अग्रवाल संगठन के राष्ट्रीय चेयरमेन प्रदीप मित्तल, कस्टम कमिश्नर संजयकुमार, वरिष्ठ समाजसेवी महेशकुमार अग्रवाल, अरुणकुमार अग्रवाल (मुगलसरायवाले), राजकुमार जैन, एड. बी.जे. अग्रवाल, श्रीमती आशा लालचंद गर्ग अतिथी स्वरूप उपस्थित थे. अनेक मान्यवरों ने भी सत्संग में पधारकर स्वामी ग्यानानंदजी का आशीर्वाद प्राप्त किया. इनमें दिल्ली के श्याम जाजू, खादी बोर्ड के सदस्य जयप्रकाश गुप्ता, आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक व अन्य शामिल हैं. सत्संग का मंच संचालन नागपुर जिला अध्यक्ष संदीप बीजे अग्रवाल तथा गोपीकृष्ण टीबड़ा ने किया. अग्रवाल सम्मेलन के नागपुर विभाग महामंत्री दुर्गाप्रसाद अग्रवाल के मार्गदर्शन में सर्वश्री जिला कार्यकारिणी उपाध्यक्ष जगदीश खेतान, विशव गर्ग, कोषाध्यक्ष अशोक आर. अग्रवाल, महामंत्री अभय अग्रवाल, उपमहामंत्री गिरिश लिलडिया, सौ. अनिता अग्रवाल, सौ. कविता सिंघानिया, कोआर्डीनेटर राजेश अग्रवाल सहित प्रल्हाद अग्रवाल, संजय गुप्ता, शैलेन्द्र अग्रवाल, विजय लोहिया, सीए शंभुद्याल टेकडीवाल, सीए विवेक खेमुका, विजय जैन, सचिन अग्रवाल, गजाधर मेहाडिया, रमेश अग्रवाल, विजय आर. अग्रवाल, विनोद अग्रवाल, सीए अशोक अग्रवाल, मनीष जैन, विशाल अग्रवाल, संजय गोयल, उमेश अग्रवाल, नटवर खेमका, आशीष अग्रवाल, शशांक अग्रवाल, यश अग्रवाल, अर्पित जी. अग्रवाल, अर्पित आर. अग्रवाल, आदित्य केजडीवाल, सौ. सविता अग्रवाल, सौ. दिप्ती अग्रवाल, सौ. ज्योति अग्रवाल, सौ. रजनी अग्रवाल, सौ. दीपा अग्रवाल, सौ. अंजु अग्रवाल आदि ने अपना योगदान किया. राष्ट्रीय मानव विकास संस्था, प्रेरणा महिला संगठन, श्रीकृष्ण कृपा परिवार, इस्कान मंदिर ने भी सक्रिय सहभाग किया.