उभरते सितारे में 'लक्ष्य'
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नागपुर। साहित्य क्यों जरूरी है? क्योंकि, बुद्धि पर जो पपड़ियां जमी हुई रहती है ना, उसे विज्ञान के दृष्टिकोन से हटाया जा सकता है। लेकिन, जो मन पर पपड़ियां जमी हुई है उन्हें, साहित्य, कला, चित्र, संगीत इन सबसे हटाया जा सकता है। साहित्य एक ऐसी शक्ति है जो, मनुष्य को मजबूत बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती है। मेरा भी सपना था कि, मैं एयर होस्टेस बनूं। लेकिन, आज इन बच्चों की प्रस्तुतियों को देखकर मन को बहुत अच्छा लगा। इनकी प्रस्तुतियां दिल को छू गई। यह विचार, अपने संबोधन में निशा पंजवानी जी ने बच्चों और उनके अभिभावकों के बीच रखें।
विदर्भ हिंदी साहित्य सम्मेलन का नवोदित प्रतिभाओं को समर्पित उपक्रम 'उभरते सितारे'। जिसके अंतर्गत 'लक्ष्य' विषय पर ज्ञानवर्धक, संगीतमय कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें, आईबीएन महा न्यूज़ चैनल के कार्यक्रम अधिकारी निशा पंजवानी जी अतिथि के रूप पर उपस्थित थीं। इनका सम्मान सहसंयोजिका वैशाली मदारे जी ने स्वागत वस्त्र और स्मृति चिन्ह देकर किया। सर्वप्रथम कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए संयोजक युवराज चौधरी ने स्मार्ट शब्द के अर्थ के साथ 'लक्ष्य' विषय को विस्तार से समझाया।
तत्पश्चात, बच्चों ने भी 'लक्ष्य' थीम पर अपने विचार व्यक्त करते हुए, अपनी प्रस्तुतियों से मन मोह लिया। जिसमें, संपूर्णा रेमंडल ने 'लक्ष्य' पर कविता सुनाई। मृणाल तेलरांधे, अंश मखीजा, जिनीशा भोजवानी, जान्हवी तामगड़े, काव्या दयानी, लिशा असनानी, भव्या अरोरा, पुलस्त्य तरारे, राम बागल, दोर्फी जनबंधु ने बहुत ही सुंदर गीत से समां बांध दिया। संपूर्णा रेमंडल ने शानदार नृत्य पेश किया।
प्रतिभाशाली बच्चों की प्रस्तुतियों को प्रोफेसर डॉ शालिनी तेलरांधे, सीमा लूहा, कृष्णा कपूर, आशा वेदप्रकाश अरोरा, योगिता तरारे, देवस्मिता मानस पटनायक, प्रीति अभिजीत बागल, युक्ता अरोरा, वंशिका आसनानी, अमृता भोजवानी, पूजा मखीजा, पंकज जोशी, बाबा खान, मीनाक्षी केसरवानी, सरोज जनबंधु, मोनिका विकास रेमंडल आदि ने बहुत सराहा।
कार्यक्रम में प्रशांत शंभरकर ने सहयोग किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन सहसंयोजिका वैशाली मदारे ने किया। उपस्थित सभी बच्चों, अभिभावकों का आभार संयोजक युवराज चौधरी ने अपने शब्दों में व्यक्त किया।