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पिता पर दोहे


पिता परिवार की धुरी
पिता हमारे देवता, पिता करें सम्मान। 
हम बच्चों की जान है, रखते हैं सब ज्ञान।।

पहले शिक्षक हैं पिता,दूजे गुरुवर मान।
तीजे माता जानती, रखना पूरा ध्यान। ।

पिता हमें फटकारते,पर करते हैं प्यार ।
ऊँच- नीच सब जानते, हैं जीवन आधार ।।

बेटा- बेटी एक है,नही जताते भेद ।
मातु-पिता हैं देव तुल्य, कहते सारे वेद ।।

मातु-पिता का कर्ज ये, चुका सके कब दास।
सेवा करना हर कदम, यही करो नित आस ।।

पिता सदा हैं साथ तो,लगते राजकुमार। 
हर इच्छा पूरी करें, सबके पालनहार। ।

पूज्य पिता को नमन है, चरणों में सर आज ।
भोले मेरे साथ हो, सर पर है सरताज ।।

बिना छत्र छाया पिता, जीवन है  लाचार। 
छवि उनकी यू ही दिखे, पिता करें उद्धार। ।

  - सरोज गर्ग ‘सरु’

      नागपुर, महाराष्ट्र
काव्य 8056455479645207952
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