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गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर को नजरअंदाज न करें


अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 पर  

गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप एक बहुत ही अशुभ संकेत है, जो मां और भ्रूण दोनों को प्रभावित करता है।  आमतौर पर गर्भावस्था में रक्तचाप सामान्य से कम होता है। सामान्य रक्तचाप 120 मिमी सिस्टोलिक और 80 मिमी डायस्टोलिक होता है। यदि गर्भावस्था के 20 सप्ताह के बाद, अलग-अलग दो अवसरों पर कुछ घंटों के अंतराल पर मापा गया दबाव 140 सिस्टोलिक और 90 डायस्टोलिक से अधिक पाया जाता है, तो इसे उच्च रक्तचाप कहा जाता है, लेकिन यदि रक्तचाप 120-139 सिस्टोलिक और 80-89 डायस्टोलिक के बीच है तो सतर्क हो जाना चाहिए।

गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर क्यों है खतरनाक -   

उच्च रक्तचाप माता को प्रभावित करता है - इससे माता के मस्तिष्क, हृदय, आंखें, किडनी, लीवर और रक्त को नुकसान हो सकता है। उच्च रक्तचाप के कारण झटके (जिसे आमतौर पर दौरे कहा जाता है), ब्रेन हेमरेज, सांस लेने में कठिनाई, आंखों में रक्तस्राव, एनीमिया और पीलिया, गुर्दे की क्षति और यहां तक कि गुर्दे की ख़राबी भी हो सकती है। अक्सर अत्याधिक उच्च रक्तचाप लाल रक्त कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाता है जिसके परिणामस्वरूप पीलिया, एनीमिया, कम प्लेटलेट्स और लिव्हर ख़राब हो सकते हैं।

उच्च रक्तचाप भ्रूण के लिए भी हानिकारक होता है। बढ़ते भ्रूण को प्लेसेंटा के माध्यम से रक्त की आपूर्ति प्रभावित होती है जिससे भ्रूण को पर्याप्त पोषण और ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है जिसके परिणामस्वरूप जन्मे बच्चे  का वजन कम रहता है। जन्म लेने वाले बच्चे का वजन कम होने से है, वह बार-बार संक्रमण से पीड़ित होता है जिसके कारण जन्म के बाद उसे लंबे समय तक अस्पताल में रहना पड़ता है।

माता के उच्च रक्तचाप के कारण गर्भाशय में पल रहे बच्चे की नाल गर्भाशय से अलग हो सकती है, जिससे माँ में गंभीर रक्तस्राव हो सकता है और भ्रूण की मृत्यु हो सकती है।

अक्सर, गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप होने पर पेशाब में झाग आता है जो की प्रोटीन के रिसाव के कारण होता है। पेशाब में प्रोटीन जाना एक खतरनाक संकेत है. इस स्थिति को प्री-एक्लम्पसिया कहा जाता है, जो आगे चलकर गंभीर जीवन-घातक स्थिति में बदल सकती है जिसे एक्लम्पसिया कहा जाता है। एक्लम्पसिया में, रोगी को बार-बार झटके आते है और उसे प्रसूति एवं गहन विशेषज्ञों द्वारा विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। प्रसूति विशेषज्ञ माँ की जान बचाने के लिए शीघ्र प्रसव करा सकते हैं। अक्सर एक्लेंपसिया किडनी को बुरी तरह नुकसान पहुंचा सकते हैं और भविष्य में किडनी  के ख़राबी का कारण बन सकते हैं।

सभी गर्भवती महिलाओं को समय-समय पर रक्तचाप, ब्लड शुगर और पेशाब में प्रोटीन की लिए नियमित जांच करानी चाहिए और अपने प्रसूति विशेषज्ञ के नियमित निरीक्षण में रहना चाहिए।

- डॉ. शिवनारायण आचार्य
  (लेखक प्रख्यात नेफ्रोलॉजिस्ट और सेंट्रल इंडिया किडनी फाउंडेशन के संस्थापक सदस्य हैं )
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