लचीलापन से आगे : योग की असली शक्ति दैनिक जीवन में..
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‘योगः कर्मसु कौशलम्’ - योग कर्मों में कौशल है।
योग, प्राचीन भारतीय सभ्यता की एक दिव्य देन है, जो केवल शारीरिक व्यायाम नहीं बल्कि एक संपूर्ण जीवन शैली है। यह परंपरा में रचा-बसा और आधुनिक विज्ञान द्वारा प्रमाणित एक ऐसा मार्ग है, जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन की ओर ले जाता है। आज जब जीवन तनाव, स्क्रीन टाइम और बैठकर रहने की आदतों से भरा हुआ है, योग हर उम्र, हर लिंग और हर व्यक्ति के लिए एक प्रभावशाली समाधान के रूप में उभर कर सामने आता है।
योग सभी के लिए है - सिर्फ लचीले लोगों के लिए नहीं, यह धारणा कि योग केवल उन्हीं के लिए है जो पहले से लचीले हैं, एक बहुत बड़ा भ्रम है। ‘योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः’ - योग मन की चंचल वृत्तियों का निरोध है।
(पतंजलि योग सूत्र)
योग सभी के लिए है। यह ताकत देता है, सहनशक्ति बढ़ाता है, ऊर्जा को बढ़ाता है, मन को शांत करता है और शरीर की मुद्रा व संतुलन को बेहतर बनाता है। नियमित अभ्यास से वजन और इंच कम करना भी संभव होता है। चाहे आप किशोर हों, वयस्क हों या वरिष्ठ नागरिक : योग आपके शरीर के अनुसार ढलता है, न कि आपका शरीर योग के अनुसार।
योग बनाम जिम – आज के युवाओं को जानना चाहिए सच्चाई :
आज के फिटनेस-प्रेमी युग में युवा वर्ग जिम और वेट ट्रेनिंग के पीछे भाग रहा है। हालांकि जिम शरीर की मांसपेशियों को आकार देता है, लेकिन कई बार यह शरीर को कठोर बना देता है और लचीलापन न होने के कारण चोटों का खतरा बढ़ जाता है।
बहुत से लोगों को यह गलतफहमी है कि योग से फैट नहीं घटता क्योंकि यह ‘धीमी गति’ का अभ्यास है। यह पूरी तरह गलत है। योग न केवल टिकाऊ वजन घटाने में मदद करता है, बल्कि शरीर को डिटॉक्स करता है, हार्मोनल संतुलन लाता है और मानसिक शांति देता है।
अगर योग को जिम या वेट ट्रेनिंग के साथ जोड़ा जाए तो यह शरीर में कठोरता नहीं आने देता, लचीलापन बढ़ाता है और आपकी फिटनेस यात्रा को और प्रभावी बना देता है। योग केवल शरीर को नहीं, जीवन को बदलता है।
हर स्कूल में योग क्यों जरूरी है :
आज के बच्चों में डिजिटल थकान, ध्यान की कमी और भावनात्मक अस्थिरता आम हो गई है। ऐसे में स्कूलों के पाठ्यक्रम में योग का समावेश अब विकल्प नहीं, आवश्यकता बन चुका है।
योग बच्चों में अनुशासन, ध्यान, धैर्य और एकाग्रता लाता है - जो न सिर्फ पढ़ाई में बल्कि जीवन में भी जरूरी गुण हैं।
कुछ बच्चों को योग “धीमा” और “बोरिंग” लग सकता है। ऐसे में उन्हें विन्यास योग (Vinyasa Yoga) जैसे सक्रिय और मज़ेदार रूपों से जोड़ा जा सकता है, जहां श्वास और गति का तालमेल होता है।
योग के प्रकार - एक साधना, कई रास्ते
हर व्यक्ति की प्रवृत्ति और उद्देश्य के अनुसार अलग-अलग योग शैली होती है :
विन्यास योग - गतिशील और क्रियाशील, जो चलने-फिरने वालों के लिए उपयुक्त है।
हठ योग - मूल और शुरुआती लोगों के लिए आसान।
अष्टांग योग - संरचित और तीव्र।
अयंगर योग - सटीकता और सहायक उपकरणों पर आधारित।
कुंडलिनी योग - ऊर्जा जागरण के लिए।
बिक्रम योग - गर्म कमरे में किया जाता है, असर तीव्र होता है।
रिस्टोरेटिव और यिन योग - गहरी शांति और हीलिंग के लिए।
हर शैली अपने-अपने लाभ देती है - जैसे मांसपेशियों की टोनिंग, तंत्रिका तंत्र को शांत करना आदि।
योग और शारीरिक परिवर्तन :
योग केवल वजन घटाने या मांसपेशियों को मजबूत करने तक सीमित नहीं है। यह चयापचय (मेटाबॉलिज़्म) सुधारता है, हार्मोनल संतुलन लाता है, और शरीर को भीतर से डिटॉक्स करता है।
कुछ आसन जैसे :
सूर्य नमस्कार, त्रिकोणासन, नौकासन, भुजंगासन - नियमित अभ्यास से वजन घटाने में बहुत प्रभावी हैं।
क्रैश डाइट्स या थकाने वाले जिम वर्कआउट की जगह योग हमें अपने शरीर की सुनना और समझना सिखाता है - और उसके साथ मिलकर काम करना सिखाता है, उसके खिलाफ नहीं।
योग - आत्मा से जुड़ने का मार्ग :
योग केवल शरीर तक सीमित नहीं है। प्राणायाम और ध्यान के माध्यम से यह भावनाओं को स्थिर करता है, चिंता को शांत करता है और उच्च चेतना को जाग्रत करता है।
आज योग एक वैश्विक आंदोलन बन चुका है, लेकिन इसकी जड़ें भारत में हैं। हर भारतीय को कम से कम मूल आसनों और प्राणायाम की जानकारी और अभ्यास होना चाहिए। यह केवल सांस्कृतिक गर्व का विषय नहीं - यह आज की स्वास्थ्य की आवश्यकता है।
योग - हर दिन का अभ्यास होना चाहिए :
योग कोई मौसमी अभ्यास नहीं है। यह एक दैनिक अनुष्ठान होना चाहिए — जैसे दांत साफ करना या भोजन करना।
सिर्फ 20-30 मिनट का दैनिक अभ्यास आपके शरीर, मन और जीवन में अद्भुत बदलाव ला सकता है।
और अगर बचपन से इसकी शुरुआत हो, तो लाभ जीवनभर बने रहते हैं।
तो आइए, हम सभी योग को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं - ताकि हम बनें एक मजबूत शरीर, शांत मन और बेहतर समाज के निर्माणकर्ता। क्योंकि जब आप बेहतर सांस लेते हैं, बेहतर चलते हैं, बेहतर सोचते हैं - तब आप बेहतर इंसान बनते हैं।
‘योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः’
‘योग मन की वृत्तियों का निरोध है।’
(पतंजलि योग सूत्र 1.2)
संकलनकर्ता - प्रणोती बागड़े
व्याख्याता एवं प्रमाणित योग प्रशिक्षक