Loading...

मन के रिश्ते - रिश्तों को सहेजने की जुगत


पुस्तक समीक्षा
——————-
मन के रिश्ते - रिश्तों को सहेजने की जुगत


‘कसमें वादे प्यार वफ़ा
सब बातें हैं बातों का क्या
कोई किसी का नहीं
ये झूठे नाते हैं नातों का क्या’

ख्यात लब्ध सिने कलाकार मनोज कुमार अभिनीत मशहूर फ़िल्म 'उपकार' में महेंद्र कपूर का गाया हुआ उपरोक्त गीत आज़ भी बहुत लोकप्रिय और प्रासंगिक है.पर,संवेदनशील नज़र और अलहदा नज़रिया हो,तो इससे एकदम इतर तस्वीर भी समाज में हमें दिखती है.

अनाथालय और वृद्धाश्रम की पृष्ठभूमि में रची यह साहित्यिक कृति ‘मन के रिश्ते’ हमें बखूबी यह संदेश प्रेषित करती है कि तमाम आधुनिक नज़रिया के बावजूद कतिपय अच्छे लोग आज़ भी हैं,जो वन बेडरूम,टू बेडरूम में सीमित परिवारों की हावी हो रही कल्चर से अलग सामासिक रिश्तों को अक्षुण्ण रखते हए सकारात्मक संदेश देने में कामयाब हो रहे हैं.

अनाथालय में पले - बढ़े अविनाश ने सफ़लता के शिखर को छूने के बाद भी अपने अतीत को याद रखा और वृद्धाश्रम में रहने वाली सरस्वती और सुरेन्द्र को अपनी मां-पिता मानकर अपने घर में रखा. अनथालय और सरकारी स्कूल की विषम परिस्थितियों के बावजूद कुछ बड़ा हासिल करने की विस्तृत कहानी है यह उपन्यास.पुस्तक को पढने के दौरान पाठक के मन में यह विचार ज़रूर आयेगा कि 'इस प्यार को क्या नाम दें. शायद, इसीलिए यह उक्ति प्रसिद्ध है कि ‘कच्चे धागे से भी बंधा कुछ रिश्ता बहुत मज़बूत और टिकाऊ भी होता है’ उच्च प्रशासनिक अधिकारी होने के बावजूद अविनाश ने हमेशा अपने पैर जमीन पर टिकाये रखा और वह हमेशा सामान्य मानव की तरह व्यवहार करता दिखता है.

पुस्तक के पन्नों से गुजरते हुए हमारा मन यह सोचने को बाध्य हो जाता है कि मातृ दिवस,पितृ दिवस और बाल दिवस मनाने की पश्चिम की अंधाधुंध नकल को आतुर हमारे देश में वृद्धाश्रम और अनाथालयों की संख्या में दिनों- दिन इज़ाफ़ा क्यों हो रहा है. आजीविका के लिए विदेश में रह रही संतानों के बुजुर्ग और अपनी माटी की महक को सहेजने वाले माता-पिता वृद्धाश्रमों में आश्रय लेने को विवश हैं.हां,यह बात दीगर है कि ऐसे वृद्धाश्रमों को अब स्टार रेटिंग भी दिया जाने लगा है.

तभी तो, इससे व्यथित कलमकार राजीव रंजन (मिश्रा) ने इस पुस्तक को देश के अनाथालय के बच्चों और वृद्धाश्रम के बुजुर्गों को समर्पित किया है.कोयला-उद्योग में 38 वर्षों तक उच्च पदों पर गुरुतर दायित्व निभाने के बाद, कोयला मंत्रालय और सम्प्रति वर्ल्ड बैंक में वरिष्ठ ऊर्जा सलाहकार की ज़िम्मेदारी का निर्वहन कर रहे लेखक श्री राजीव रंजन इसके पूर्व भी चार पुस्तकें ; असंभव: संभव, आसमां में सुराख़, अंधेरा उजाला और कमली (उपन्यास ) लिख चुके हैं. सुखद संयोग यह है कि ये चारों पुस्तकें अमेजन पर बेस्ट सेलर केटेगरी में राज कर रही हैं.आलोच्य पुस्तक के अन्य किरदार ; अतुल,वाणी, घनश्याम बाबू, लक्ष्मी,स्मिता, विवेक, नंदिनी, राकेश, रवि, रेणु और अनुराधा आदि हमारे आस- पास के जीवंत पात्र प्रतीत होते हैं.
पुस्तक को पढ़ते हुए पाठक खुद को अपने आस -पास के माहौल और पात्रों से रूबरू होते पाएंगे.

उपन्यास - मन के रिश्ते 
लेखक - राजीव रंजन 
प्रकाशक- notionpress.com 
मूल्य-595 -00 रूपये 


-

समीक्षक : सत्येंद्र प्रसाद सिंह
   नागपुर, महाराष्ट्र 
समिक्षा 5816820015798860657
मुख्यपृष्ठ item

ADS

Popular Posts

Random Posts

3/random/post-list

Flickr Photo

3/Sports/post-list