मिट्टी से उपजता जीवन का दीपक : अमिताभ पावड़े
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नागपुर (दिवाकर मोहोड़)। यह जानकर बहुत दुःख होता है कि श्री अमिताभ पावड़े, जिन्होंने जीवन भर खेत की मिट्टी से जुड़कर और किसानों के दर्द को समझते हुए काम किया, आज हमारे बीच नहीं हैं।
वे आसमान छूते हवाई अड्डों की भव्य संरचनाओं के शिल्पकार थे; लेकिन सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने धरती को ही अपना जीवन धर्म मान लिया।
उन्होंने संतरे के बाग में, किसानों की पीड़ा में और सामाजिक उत्थान के पथ पर स्वयं को समर्पित कर दिया। इंजीनियरिंग की कला को आत्मसात करने वाला यह व्यक्तित्व अंततः किसान आंदोलन का प्रकाश स्तंभ बन गया।
पावड़े जी के विचारों में कृषि केवल आजीविका ही नहीं, बल्कि स्वाभिमान, मूल्य और संस्कृति भी है। उनकी उपलब्धियों ने हमें दिखाया है कि जब ज्ञान और करुणा का मेल होता है, तो समाज का उद्धारक सिद्ध होता है।
आज वे हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी स्मृति के स्वर्णिम कण हर खेत में, हर अंकुर में, हर स्वप्निल फसल में चमकते रहेंगे। उन्होंने किसानों की आत्मा में जो साहस और आशा के बीज बोए हैं, वे सदैव अंकुरित होते रहेंगे। अमिताभ पावड़े को विनम्र श्रद्धांजलि। उनका जीवन सदैव हमारे लिए मार्गदर्शक रहेगा।