पितृ पक्ष में कौवो के दर्शन दुर्लभ
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नागपुर। पितृ पक्ष की शुरुआत हो चुकी है.श्राद्ध की 4 तिथियां हो चुकी है। लेकिन इस बार भी कौवो का दर्शन नहीं हो पा रहा है। इसका मुख्य कारण शहर में ध्वनि प्रदुषण, जगह जगह मोबाइल टॉवरो की भरमार और पेड़ो की कटाई है। इससे शहर में आये दिन कौवो की संख्या कम होती जा रही है। पितृ पक्ष के दौरान पितरों की तिथि के अनुसार श्राद्ध तर्पण किया जाता है और उनका मनपसंद भोजन तैयार किया जाता है, पितृ पक्ष में पितरों के रूप में कौवे को कागबली भोजन दिया जाता है।
हिंदू धर्म में कौओं को पितरों का दर्जा दिया गया है, पितृ पक्ष हो या कोई भी शुभ कार्य पितरों को याद करते हुए लोग कौओं को भोजन कराते हैं, पितृ पक्ष के दिनों में पितरों के लिए निकाले गये भोजन का अंश अगर कौआ ग्रहण कर लेता है तो पितर तृप्त हो जाते हैं। कहा जाता है कि कौए के द्वारा खाया गया भोजन सीधे पितरों को प्राप्त होता है, इसलिए पितृ पक्ष के दौरान कौवों को भोजन कराना शुभ माना जाता है। हिंदू धर्म में कौवों को पितरों का प्रतीक और यम का मित्र माना जाता है.
यह मान्यता है कि पितरों की आत्माएं कौए के रूप में आकर अपने वंशजों से भोजन और पूजा ग्रहण करती हैं, यह मान्यता श्राद्ध और पितृ पक्ष के दौरान विशेष रूप से प्रचलित है, कौए बिना थके लंबी दूरी की यात्रा तय कर सकते हैं, ऐसे में किसी भी तरह की आत्मा कौए के शरीर में वास कर सकती है और एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा सकती है, इन्हीं कारणों के चलते पितृ पक्ष में कौए को भोजन कराया जाता है, धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, जब किसी व्यक्ति की मौत होती है तो उसका जन्म कौआ योनि में होता है।
शांतिनगर निवासी पंडित सुनील शर्मा के अनुसार श्राद्ध पक्ष में कौवों को पहले भोजन कराया जाता है, ऐसा माना जाता है कि कौवे को भविष्य में होने वाली घटनाओं का थोड़ा- थोड़ा आभास हो जाता है, कौवे को अतिथि के आगमन का संकेत भी माना जाता है।
पितृ पक्ष में कौवो के साथ ब्राह्मण, गाय, श्वान डॉग और चींटी को भी भोजन कराने से पितरों को शांति मिलती है, पितृ पक्ष में गाय को भोजन कराने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है.