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किताबें बोलती है - साहित्यिकी का उपक्रम


नागपुर। विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन के साप्ताहिक उपक्रम साहित्यिकी के अंतर्गत "किताबें बोलती हैं" कार्यक्रम का बहुत ही उत्तम ज्ञानवर्धन आयोजन संपन्न हुआ।
प्रमुख अतिथि भाविका जी रामटेके ने आयोजन की भूरि-एफसीभूरि सराहना करते हुये कहा कि नागपुर में विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन जैसे स्थान का आतिथ्य और आज का अभिनंदनीय आयोजन उनके लिये सौगात है। उन्होने अपनी स्वरचित रचना ‘सबका तिरंगा’ सुनाकर मंच को भाव विभोर कर दिया। भाविका जी बहुमुखी व्यक्तित्व, बहुभाषी और विविधमुखी प्रतिभा की धनी हैं। सभी प्रतिभागियों ने मुक्त कंठ से उनका स्वागत किया और अपने पसंदीदा विद्वत-जनों की किताबों से अंश पढे। सभी की प्रस्तुति सफलतम  रहीं। बड़े ही मुखर और अनौपचारिक आयोजन में सभा का उत्साह देखने योग्य रहा। 

आयोजन का संयोजन संचालन हेमलता मिश्र "मानवी" और शादाब अंजुम ने किया। स्मृति चिन्ह और पुष्प से अतिथि सत्कार और माधुरी की सरस्वती वंदना के बाद- आराधना शर्मा अर्चना चौरसिया शारदा मिश्र नीलम शुक्ला माधुरी मिश्रा भोला सरवर रूबी दास डॉ. कामिनी शुक्ला सुजाता दुबे मंदा बागडे रमेश बागडे माधुरी राऊलकर माया शर्मा शादाब अंजुम और मानवी मिश्र ने नये पुराने लेखकों कवियों की पुस्तकों के अंश सुनाकर संपूर्ण कक्ष को रसपूर्ण और मुग्ध कर दिया। अतिथि महोदया का और कक्ष का और विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन का आभार व्यक्त करते हुए संचालिका ने समापन की घोषणा की।
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