भाषाई सेतु को समर्पित एक कार्यक्रम हिंदी पखवाड़े पर
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नागपुर।महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के तत्वावधान में आयोजित हिंदी पखवाड़ा के मद्देनजर सम्पन्न हुए कवि सम्मेलन में हिंदी मोर भवन स्थित उत्कर्ष सभागृह में अकादमी के सह निदेशक और सदस्य सचिव सचिन निंबाड़कर के मुख्य आतिथ्य और वरिष्ठ साहित्यकार डॉ सागर खादीवाला की अध्यक्षता में बोलते हुए अपनी प्रस्तावना में सदस्य सचिव ने विभिन्न भाषाओं के बीच एक सेतु का कार्य करने वाली संस्था ही महाराष्ट्र हिंदी साहित्य अकादमी है। देश का महाराष्ट्र ही ऐसा राज्य है जहां अनेक भाषाओं के प्रचार प्रसार हेतु विभिन्न अकादमियां कार्यरत है।
अध्यक्षीय वक्तव्य में अकादमी का महाराष्ट्र के अलग अलग शहरों में जाकर हिंदी के प्रति एक समर्पण भाव के साथ सक्रिय रहना एक विशेषता को रेखांकित किया गया। कार्यक्रम का संयोजन और संचालन अकादमी के निर्देशांतर्गत वरिष्ठ साहित्यकार अविनाश बागड़े ने किया।
कवि सम्मेलन को व्यापक बनाते हुए हिन्दी और मराठी दोनों भाषाओं का एक सरस मिलेजुले कार्यक्रम का आरम्भ दीप प्रज्वलन और मीरा जोगलेकर की सरस्वती वंदना से हुआ। डॉ. सुरुचि डबीर के मराठी कवितापाठ और रूबीदास अरु द्वारा उसके सशक्त हिंदी अनुवाद के वाचन व स्वरचित दोहपठन के बाद मुकेश कुमार सिंह ने ग़ज़ल प्रस्तुत कर समां बांध दिया।
सुविख्यात चित्रकार कवयित्री मिली विक्मशी ने हिंदी पर अपनी कविता पेश की। मराठी गज़लकार माधव बोबडे ने ग़ज़ल पेश की।मराठी की शीर्षस्थ हस्ताक्षर सुनीता झाड़े ने हिंदी में रचना सादर की। हिंदी महिला समिति की अध्यक्षा एड रति चौबे ने हिंदी को ही अपनी रचना का विषय बनाकर प्रस्तुति दी। डॉ. कृष्णकुमार द्विवेदी ने अपने चिरपरिचित अंदाज में रचना पेश की, मंचीय व्यंग्यकार अनिल मालोकर ने मां शारदा को अपने गीत में आह्वान किया वहीं वरिष्ठ साहित्यकार रामकृष्ण वि सहस्रबुद्धे ने समसामयिक रचना से तालियां बटोरी। सुविख्यात गीतकार दयाशंकर तिवारी मौन के सुपरिचित गीतों और उनकी गायन शैली को श्रोताओं ने भरपूर दाद दी। अविनाश बागड़े ने मुक्तक पढ़ा। कार्यक्रम की एक और विशेषता रामकृष्ण सहस्रबुद्धे की पुस्तक 'धागे प्यार के' और अविनाश बागड़े की पुस्तक 'शतक सुबह के' का लोकार्पण क्रमशः अतिथियों के हस्ते संपन्न हुआ।
कार्यक्रम के सफलतार्थ जहां संतोष बादल, रूबी दास, अनिल मालोकर ने अथक प्रयास किए वही बड़ी संख्या में साहित्य चिंतक उपस्थित थे जिनमें राष्ट्र पत्रिका के संपादक कृष्ण नागपाल, पावर ऑफ वन के संपादक नीरज ओमप्रकाश श्रीवास्तव, शंकर चौधरी, सुधा राठौर, हेमलता मिश्र मानवी,नंदिता सोनी, मधु सिंघी, आरती एकता, माधुरी मिश्रा, उमा हरगन, सुरेखा खरे, सुरेंद्र हरड़े, उमेश साहू, भूषण कुमार, देवयानी बैनर्जी, अरुणा मुखर्जी, अतुल त्रिवेदी, रामेश्वर बंग, माधुरी राउलकर, कमलेश चौरसिया, पूनम हिंदुस्तानी, अर्चना अर्चन, अशोक श्रीवास्तव, प्रभा मेहता, नायडू मैडम, अशिमा रायचौधरी सहित अन्य साहित्यिक हस्ताक्षरों की गरिमामय उपस्थिति ने कार्यक्रम को नई ऊंचाईयों प्रदान की।अंत में अनिल मालोकर ने आभार प्रदर्शन का दायित्व पूर्ण किया।