जिव्हाळा संस्था ने बाढ़ पीड़ितों के साथ मनाई दिवाली
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उपेक्षितों के लिए प्रकाश और प्रेम का उत्सव
नागपुर/उमरखेड। 'दिवाली का मतलब है आनंद, प्रकाश और प्रेम की गर्माहट और यह गर्माहट हर उपेक्षित तक पहुँचनी चाहिए'। इसी भावना के साथ, इंटरनेशनल आइकॉन पुरस्कार और ISO मान्यता प्राप्त जिव्हाळा संस्था, उमरखेड की ओर से 'जिव्हाळा की मिठास वाली दिवाली' पहल पळशी, ता. उमरखेड, जि. यवतमाळ के बाढ़ पीड़ित परिवारों के साथ मनाई गई। हाल ही में हुई भारी बारिश और बाढ़ ने पळशी क्षेत्र के कई परिवारों के जीवन को तहस- नहस कर दिया, घर का सामान, राशन और कपड़े बुरी तरह प्रभावित हुए। ऐसे कठिन समय में, जिव्हाळा संस्था ने मदद का हाथ बढ़ाते हुए, हमेशा की तरह समाज के हर स्तर में मानवता का दीप जलाया। इस पहल के तहत, जिव्हाळा संस्था की सचिव रोहिणी अलमुलवार और संस्था की सलाहकार संगीता मादावार द्वारा संकटग्रस्त विधवाओं और महिलाओं को राशन किट, बच्चों को दिवाली फराल, मिठाइयाँ और आवश्यक जीवनोपयोगी सामग्री वितरित की गई।
विशेष बात यह थी कि यह कार्यक्रम केवल मदद वितरण तक सीमित नहीं रहा, बल्कि प्रेम, संगत और मानसिक सहारा देने पर अधिक जोर दिया गया। संस्था के कार्यकर्ताओं ने प्रत्येक परिवार को यह संदेश दिया कि 'आप अकेले नहीं हैं, समाज आपके साथ है'। कार्यक्रम के दौरान जरूरतमंद महिलाओं के चेहरे पर खुशी और आंखों में आंसुओं का भावुक दृश्य बार-बार देखने को मिला। उपस्थित सदस्यों ने कहा, 'दिवाली का असली मज़ा तो बांटने में है'। जिव्हाळा संस्था के संस्थापक अध्यक्ष अतुल लताताई राम मादावार ने कहा कि इस वर्ष न केवल यवतमाळ जिले में, बल्कि पूरे महाराष्ट्र में भारी वर्षा और बाढ़ का भयंकर संकट आया। ऐसे समय में जिव्हाळा संस्था बाढ़ पीड़ित परिवारों के साथ खड़ी रही और हजारों परिवारों की सेवा और मदद कार्य में निरंतर लगी रही।
उन्होंने आगे कहा, 'परिस्थितियाँ किसी की भी परीक्षा लेती हैं, लेकिन मानवता का मतलब है उस परीक्षा को पार करने के लिए एक- दूसरे को सहारा देना। जिव्हाळा के लिए सेवा ही उत्सव है'। इसके बाद जिव्हाळा संस्था की सचिव रोहिणी अलमुलवार ने बाढ़ पीड़ित परिवारों को हौसला देते हुए कहा, 'जहां कठिनाइयाँ और संकट आते हैं, वहां जिव्हाळा संस्था हमेशा आपके साथ है। हम एकजुट हैं, एक- दूसरे का सहारा बनने के लिए'। इस संदेश के माध्यम से उन्होंने सभी उपस्थितों को दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं दीं और एकता से संकटों को पार करने का महत्व रेखांकित किया। संस्था की सलाहकार और शिक्षिका संगीता मादावार (मांजरे) ने कहा कि पिछले आठ वर्षों से ‘जिव्हाळा की मिठास वाली दिवाली - मदद का एक हाथ’ यह पहल हमारे संगठन का एक अभिन्न हिस्सा बन गई है।
इस वर्ष भी, पिछले वर्ष की तरह, हम उस्ताद मजदूर, समाज के अत्यंत जरूरतमंद लोग, दिव्यांग, वृद्ध, विधवा और एकल महिलाएँ, उपेक्षित और बाढ़ पीड़ित परिवारों को दिवाली फराल, किराना सामान, नए कपड़े और शैक्षणिक सामग्री वितरित कर रहे हैं। यह पहल केवल वस्तुओं का वितरण नहीं है, बल्कि यह मानवता का त्योहार, आशा का संदेश और आपसी विश्वास की ताकत है। जब हम एक साथ आते हैं, जब हम हाथ बढ़ाते हैं, तो अंधकार मिटता है और हर घर में दिवाली का प्रकाश फैलता है। और इसी प्रकाश के लिए जिव्हाळा हमेशा खड़ा है। इस कार्यक्रम में जिव्हाळा संस्था की सचिव रोहिणी अलमुलवार, संस्था की सलाहकार संगीता मादावार, रक्षिता मादावार, संस्था के स्वयंसेवक राजू सुनेवाड, पद्माकर सदावर्ते, राकुमार मुळावकर, ज्ञानेश्वर शिंदे, गांव की महिलाएँ और पुरुष, बच्चे और मान्यवर उपस्थित थे।
कार्यक्रम का संचालन राजू सुनेवाड ने किया, आभार राजकुमार मुळावकर ने माना। सभी के संयुक्त प्रयासों से यह दिवाली पळशी के परिवारों के लिए वास्तव में मिठास, उजाला और गर्माहट से भरी साबित हुई।


