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अंतरराष्ट्रीय पुरूष दिवस पर पुरूष आयोग के गठन की मांग की गई


नागपुर। अंतरराष्ट्रीय पुरूष दिवस  के अवसर पर पुरूष आयोग बनाने  की मांग करते हुए ज्ञानशक्ती सेवा फाऊंडेशन के संस्थापक  डॉ परमानंद शुक्ला के मार्गदर्शन में शहर अध्यक्ष (एड.अब्दुल अमानी कुरेशी  ने निवासी जिलाधिकारी अनुप खांडे को ज्ञापन सौंपा इस समय हाजी शेख शरीफ, मुबारक खान, मंगेश चोपड़े उपस्थित थे।

ज्ञापन में कहा गया कि आज 19 नवंबर को 'अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस' के रूप में  यह दिन मनायाजाता है। लेकिन पुरुष दिवस को 'महिला दिवस' जितना उत्साह से नहीं मनाया जाता। अक्सर कहा जाता है कि पुरुष और महिलाएँ परिवार के स्तंभ हैं, लेकिन घर के किसी कोने में खड़ा पुरुष नामक स्तंभ कभी किसी को नज़र नहीं आता।

उसके प्रति सहानुभूति दिखाना एक बड़ी भूल मानी जाती है। फिर भी वह अपनी पूरी क्षमता से परिवार का पालन-पोषण करता है। इसमें कोई संदेह नहीं कि माँ घर की शोभा होती है। लेकिन पिता परिवार का अस्तित्व होता है। जब वंशवृक्ष खिलता है, तो उसकी शाखाएँ लहराने लगती हैं। लेकिन इस वृक्ष की जड़ में बैठा पुरुष कभी किसी के ध्यान में नहीं आता। क्योंकि उसे परिवार की पूरी ज़िम्मेदारी उठानी होती है। 

बेटी को उसकी शादी में विदा करते समय गले लगाकर रोती माँ, सबको दिखाई देती है। लेकिन साथ ही, उस पिता को कोई नहीं देखता जो कैटरिंग बिल में छूट के लिए कैटरर से भीख माँगता है। फिर भी वह संतुष्ट है। क्योंकि उसके बच्चों की खुशी ही उसकी असली दौलत है। खैर, कुछ लोग आलोचना करते हैं, कुछ लोग प्रशंसा करते हैं, उन सभी पुरुषों को अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस की शुभकामनाएँ जो आज अपना कर्तव्य निभा रहे हैं!

वर्तमान परिदृश्य में महिलाओं ने बोहोत तरक्की की है, नौकरीपेशा और संस्थाओं में भी कार्यरत  हैं, अब घरेलू हिंसा चाहे मानसीक रूप से हो या शारीरिक रूप से उसके शिकार पुरूष भी हो रहे है‌च कई स्थानों पर पत्नी द्वारा मानसिक अत्याचार और हत्या करने के मामले बढ़े हैं और उससे जुड़े सैकड़ों देश के कई न्यायालयो में चल रहे हैं। अतः ज्ञापन में कहा गया है कि प्रधानमंत्रीजी बाल आयोग, महिला आयोग की तरह पुरूष आयोग का भी गठन करे।
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