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विश्व मधुमेह दिवस के उपलक्ष्य पर


14 नवम्बर को विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों में जागरूकता पैदा करना है । 
40% मधुमेह रोगियों को किडनी की बीमारी अक्सर होती है। चलिए इस विषय पर जानकारी हासिल करते हैं ।

डायाबेटिक नेफ्रोपैथी : 

डायाबेटीक नेफ्रोपैथी मधुमेह की एक गुर्दे की बीमारी है जो मधुमेह रोगियों में लंबे समय तक उच्च ब्लड शुगर के कारण होती है। इस बीमारी में  गुर्दे की छोटी रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुँचाता है जो रक्त से गंदगी को छानती हैं। इससे गुर्दे की कार्यक्षमता में कमी, पेशाब में प्रोटीन और गुर्दे की विफलता या अंतिम चरण की गुर्दे फेल हो सकते हैं।

डायाबेटीक नेफ्रोपैथी के कारण : 

अनियंत्रित ब्लड शुगर (हाइपरग्लाइसीमिया) और 
उच्च रक्तचाप गुर्दे की क्षति के मुख्य कारण हैं।
मोटापा, ख़ून में अधिक वसा (चर्बी), तम्बाकू, धूम्रपान और आनुवांशिक कारणों से भी यह बीमारी होती है ।

उच्च ब्लड शुगर गुर्दे की फ़िल्टरिंग इकाइयों (ग्लोमेरुली) को नुकसान पहुँचाता है, जिससे उनमें से प्रोटीन पेशाब में रिसने लगता है।

डायाबेटिक नेफ्रोपैथी  के लक्षण : 

🔹 मूत्र में प्रोटीन (झागदार मूत्र)
🔹 हाथ, पैर या चेहरे में सूजन
🔹 रक्तचाप में वृद्धि
🔹 बार-बार पेशाब आना
🔹 थकान और कमज़ोरी
🔹 भूख न लगना
🔹 मतली या उल्टी

शुरुआती लक्षण अक्सर नहीं दिखते लेकिन बाद में, पैरों, पंजों या टखनों में सूजन, पेशाब में प्रोटीन (एल्ब्यूमिन्यूरिया) और गुर्दे की कार्यक्षमता में गिरावट का अनुभव हो सकता है।
यह कई वर्षों में धीरे-धीरे बढ़ता है और अंततः गुर्दे की कार्यक्षमता को पूरी तरह से नष्ट करता है, जिसे किडनी फैल्योर कहा जाता है, जिसके लिए डायलिसिस या गुर्दा प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है।

रोकथाम : 

मधुमेह और रक्तचाप के कंट्रोल के साथ- साथ, तम्बाकू और धूम्रपान से परहेज, मोटापा नहीं होने देना, नियमित व्यायाम और प्रोटीन के लिए नियमित पेशाब की जांच , रोग की प्रगति को रोकने में मदद कर सकती हैं।


- डॉ शिवनारायण आचार्य
   नागपुर, महाराष्ट्र 
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