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सप्तरंग महिला चेतना मंच ने 'बचपन की यादें पचपन में' कार्यक्रम का किया आयोजन


नागपुर। विदर्भ हिंदी साहित्य सम्मेलन के उपक्रम  सप्तरंग महिला चेतना मंच के मासिक कार्यक्रम की श्रृंखला में  'बचपन की यादें पचपन में' कार्यक्रम का आयोजन किया गया। 55 से 75 वर्ष की महिलाएं भी स्कूल के ड्रेस में बच्चों जैसे हरकतें करके आनंद ही आनंद करते हुए कार्यक्रम में चार चांद लगाईं। कार्यक्रम की शुरुआत हमारे मुख्य अतिथि श्रीमती अनीता बोस और  श्रीमती श्रीरेखा नायर के द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया। पाठशाला की शुरुआत पूर्णिमा बनर्जी और सरिता खंडेलवाल ने सरस्वती वंदना और मुझे इतनी शक्ति दो दाता के द्वारा पूरे पाठशाला को प्रार्थना कराया गया। 


सप्तरंग संयोजिका डॉ स्वर्णिम सिन्हा ने मंच संचालन किया। कार्यक्रम की प्रिंसिपल बनी श्रीमती इंदिरा किसलय जी ने राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूर्ण हेतु गीत जानकारी दी और पूरी पाठशाला से  वंदे मातरम राष्ट्रीय गीत का सामूहिक गायन कराया  गया। टीचर बनी श्रीमती माधुरी रहलकर निर्मला पांडे हेमलता मिश्र ने पाठशाला की क्लास को पढ़ाया। विद्यार्थी बनी हुई महिलाओं ने अपने बचपन के संस्मरण, बच्चों के गीत और नृत्य के द्वारा पूरे माहौल को खुशनुमा और बच्चों जैसा बना दिया। हाथों में लॉलीपॉप लेकर बच्चों की एक्टिंग करना जैसे किसी के लेट आने पर उसकी बुली करना, बात करने से टीचर से कंप्लेन करना बच्चों की आवाज में बोलना एक से बढ़कर एक मस्ती  सभी ने किया।

बच्चों के गाने पर नृत्य की श्रीमती छवि चक्रवर्ती, माया शर्मा सुषमा शर्मा, अनीता गायकवाड, संगीता घई,सपना निकम और सुधा भगत ने किए। बच्चों के गीत और संस्मरण की प्रस्तुति श्रीमती अमित शाह, नंदिनी सुदामाला, गीता चावला, भारती रावल, आरती पाटिल, सारिका विजयवर्गीय, प्रेम मून, तारा गुप्ता ने की। मुस्कान की रानी बनी मेघा अग्रवाल, क्यूट क्वीन बनी श्रअर्चना चौरसिया, बचपन की रानी बनी छवि चक्रवर्ती, बदमाश बच्चा बानी संगीता घई। हंसते- हंसते सभी महिलाएं कार्यक्रम के अंत में थक गईं थीं। सप्तरंग सह सह संयोजीका सुजाता दुबे ने सभी का आभार माना।
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