रजनीगंधा म्यूजिक अकादमी का 'इश्क मेरा बंदगी..' संगीतमय कार्यक्रम ने किया मंत्रमुग्ध
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नागपुर। रजनीगंधा म्यूजिक अकादमी द्वारा प्रस्तुत 'इश्क मेरा बंदगी..' नामक विशेष संगीतमय कार्यक्रम का आयोजन लक्ष्मी नगर स्थित सायंटिफिक सभागार में किया गया। इस कार्यक्रम की संकल्पना रजनीगंधा म्यूजिक अकादमी की संचालक परिणीता मातुरकर ने की थी, जबकि संचालन प्रितेश मातुरकर ने किया। दीप प्रज्वलन विशेष अतिथि सुषमा तिवारी द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में प्रशांत कडू द्वारा प्रस्तुत 'मुसाफिर हूँ यारों..' गीत ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उज्ज्वला सुरोशे ने 'टेढ़े मेढ़े ऊंचे नीचे रास्ते..' गीत से कार्यक्रम की शुरुआत की। जितेंद्र पांडव और परिणीता ने 'परबत के इस पार..', जबकि श्याम उघाडे और परिणीता ने 'अच्छा जी मैं हारी.. 'गीत प्रस्तुत कर संगीतमय माहौल बना दिया। इसके बाद डॉ. प्रशांत बर्वे ने 'पग घुंघरू बांध मीरा नाची..', किरण जैस्वाल ने 'दिल क्या करे..', राजेश नागपूरे और उज्ज्वला सुरोशे ने 'जब से तुमको देखा है सनम..', गीता बावनकर ने 'वादा कर ले साजना..', डॉ. रजनी हुड्डा ने 'मेरी सांसों को जो..', रवीश तिवारी ने 'दिलबर मेरे कब तक मुझे..', तुषार सायरे ने 'बादशाह ओ बादशाह..' तथा विजय गायधने ने 'अरे बापू म्हातारी..' जैसे गीतों से कार्यक्रम को नई ऊँचाइयाँ दीं।
प्रज्ञा डेकाटे का 'निशा... जाने जा..', गिरीश शर्मा का 'इश्क मेरा बंदगी..', अविनाश मलगेवार का 'छू कर मेरे मन को..', खसरंगती रेणगे का 'दिल का जो हाल है..', डॉ. बिपिन तिवारी का 'रिमझिम के गीत सावन..', नरहरी सुपारे का 'परदेसीया ये सच है पिया..' तथा वसंत बर्डे और अपर्णा अहिवाले का 'अब ना छुपाऊंगा..' गीत विशेष आकर्षण का केंद्र रहे। कलाकारों ने कुल 35 मधुर गीत प्रस्तुत किए, जिन पर दर्शकों ने जमकर तालियां बजाईं। इस अवसर पर डॉ. रजनी हुड्डा, डॉक्टर बिपिन तिवारी, सुषमा तिवारी, जितेंद्र पांडव, गिरीश शर्मा, शैलेश शिरभाते, हरीश विश्वकर्मा, उज्जवला सुरेशो और त्रुशाली मातुरकर की विशेष उपस्थिति रही।
