प्रिंटिंग और पैकेजिंग की वजह से दुनिया में आई क्रांति : वसंत धानोरकर
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उभरते सितारे मे 'बच्चों की दुनिया'
नागपुर। सुबह उठकर ब्रश करने से लेकर न्यूजपेपर पढ़ने, खाने-पीने की चीजों और रात को सोने तक जो भी चीज आपके सामने आती है, सभी में प्रिंटिंग और पैकेजिंग है। उसके बिना जीवन ही संभव नहीं। दुनिया में जो भी क्रांति आई है वह प्रिंटिंग वालों की वजह से आई है। दादा साहेब फाल्के पहले प्रिंटिंग डिप्लोमा होल्डर थे। यह ऐसा सायंस और टेक्नोलॉजी है, जो एक आर्ट है। आप कोई भी फिल्ड देख लिजिए सब प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी का फिल्ड है। प्रिंटिंग और पैकेजिंग के बिना कुछ भी संभव नहीं है।
इस प्रिंटिंग फील्ड में कभी भी रिसेशन नहीं आता। हमारी कोई भी लिक्विड पैकेजिंग या सॉलिड पैकेजिंग देख लीजिए, यह हमेशा एक नया रिसर्च हमें नजर आता है। विश्व में सबसे ज्यादा किताबों का संसार भारत ही है। हमारे रुपए से लेकर सोना, खाने पीने की सभी चीज प्रिंटिंग और पैकेजिंग का उत्कृष्ट नमूना है। सभी में प्रिंटिंग और पैकेजिंग होता ही है। बच्चों ने अभी से इसमें भी रुचि लेना चाहिए। यह विचार वसंत अजबराव धानोरकर ने बच्चों और उनके अभिभावकों के बीच रखें।
विदर्भ हिंदी साहित्य सम्मेलन का नवोदित प्रतिभाओं को समर्पित उपक्रम 'उभरते सितारे' का आयोजन हिंदी मोर भवन के उत्कर्ष हॉल में किया गया। कार्यक्रम का विषय 'बच्चों की दुनिया' पर आधारित शिक्षाप्रद ज्ञानवर्धक और संगीतमय प्रस्तुतियों से भरा रहा। कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप मे संघमित्रा उच्च प्राथमिक शाला के संचालक एवं प्रिंटिंग एंड टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर वसंत धानोरकर उपस्थित थे। इनका सम्मान संयोजक युवराज चौधरी ने स्वागत वस्त्र और स्मृति चिन्ह देकर किया।
कार्यक्रम की शुरुआत में प्रस्तावना रखते हुए प्रशांत शंभरकर ने बताया कि, बच्चों की दुनिया निराली होती है। बच्चों की कल्पना शक्ति बहुत विशाल होती है। जिसके कारण बच्चे बहुत जल्दी मोबाइल चलाना सीख जाते हैं। पैरंट्स ने बच्चों की कल्पनाओं की उड़ान में हमेशा उनका साथ देना चाहिए। बच्चों के साथ अच्छे से को-ऑर्डिनेट कर उन्हें सहयोग प्रदान करना जरूरी है।
तत्पश्चात, 'बच्चों की दुनिया' विषय के अंतर्गत गीत संगीत से बच्चों की प्रस्तुतियां सराहनीय रही। जिसमें, राजस्थान से आयी कु. निर्वि माहेश्वरी ने बहुत ही सुंदर घूमर नृत्य का प्रदर्शन किया। तन्वी यादव, आदित मिंज, नचिकेत धानोरकर, भव्या अरोरा और अलीशा उत्तम खोबरागड़े ने बहुत ही सुंदर गीतों की प्रस्तुति से सबका दिल जीत लिया।
बच्चों की प्रस्तुतियों को उनके अभिभावकों के साथ-साथ स्नेहल खोबरागड़े, कृष्णा कपूर, प्रदीप पत्तरकिने, प्रियंका धानोरकर, प्रोफेसर डॉ शालिनी तेलरांधे, गीता सुरेश मिंज, राजेश वर्मा, खुर्शीद अली, सतीश अलोने, अलका वाघमारे, वैशाली मदारे, वेदप्रकाश अरोरा आदि ने बहुत सराहा। कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रशांत शंभरकर ने सहयोग दिया। कार्यक्रम का संचालन एवं उपस्थित सभी दर्शकों, कलाकारों और बच्चों का आभार संयोजक युवराज चौधरी ने अपने शब्दों में व्यक्त किया ।


