प्यारी शीत ऋतु
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ताप रहे सूरज दादा को शीतलता उन्होंने पहुंचाई
शीत ऋतु पर प्रकृति भी धीरे से मुस्कुराई
रात में ओस की बूंदो ने प्रकृति को सजाया
मोती बिखरे समेटने सूरज सुबह आया।
तेज हवाएं गा रही सर सर ठंड का गीत
शीत ऋतु के आने से आग बनी है मीत
सूरज उगा रात ढ़ली खिला सुबह का रूप
लोग आंगन में बैठकर ताप रहे हैं धूप।
शीत ऋतु की शीतलता से शरीर कप-कपाया
किट किट करते दांत व तन में खून जमाया
गरम रजाई स्वेटर शाॅल ने राहत दिलाई
गरम चाय की चुस्की से शरीर में फुर्ती आई।
सर्दी का मौसम लगाता है बड़ा सुहाना
दिन छोटा सा लगता और रात का बड़ा हो आना
गरमा गरम पकोड़े और गरमा गरम हो खाना
बड़ा अच्छा लगता है स्त्रियों को रसोई में समय बिताना।
- मेघा अग्रवाल
नागपुर, महाराष्ट्र
