इंदिरा गांधी महाविद्यालय में पदवीदान कार्यक्रम संपन्न
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प्रत्येक पदवी धारक स्वयं के साथ ही दुसरों को रोज़गार देना चाहिए : प्र.कुलगुरु डॉ श्रीराम कावळे
नागपुर/गढ़चिरोली। गोंडवाना विघापीठ गढ़चिरोली संलग्नित 2006 से शासन मान्यता प्राप्त सुरू इंदिरा गांधी महाविद्यालय गढ़चिरोली में कल आजादी के अमृत महोत्सव व पदवीदान कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
गोंडवाना विघापीठ गढ़चिरोली के प्र. कुलगुरू डॉ. श्रीराम कावळे के शुभहस्ते कार्यक्रम का उद्घाटक संपन्न हुआ।
जिसमें मुख्य अतिथि नाबार्ड के जिला विकास व्यवस्थापक श्री तृणय फुलझले, विशेष अतिथि रोटी फाऊंडेशन इंडिया के अध्यक्ष डॉ रोहित माडे़वार नागपुर व एकता सामाजिक शिक्षण संस्था गढ़चिरोली की अध्यक्षा सौ. मीना क. परिमल व संस्था कोषाध्यक्ष श्रीमती सरोज कैलाशचन्द्र अर्जुनवार प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
जबकी कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्व शांतिदूत प्रकाश आर अर्जुनवार संस्थापक एकता सामाजिक शिक्षण संस्था गढ़चिरोली ने किया।
कम शिक्षण प्राप्त लोग कुछ भी काम अथवा रोजगार करते हुए आपना जीवन यशश्वि करते है परंतु कुछ वर्षों से देखा जा रहा है पदवी या अधिक शिक्षा प्राप्त नवजवान बेरोजगार रहते हैं। जबकि प्रत्येक पदवी लेने वाले ने स्वयं के साथ दुसरों को भी रोज़गार देने की व्यवस्था करना चाहिए हमारा विघापीठ प्रत्येक पदवी लेने वाले से यही अपेक्षा करता है की वह खुद के साथ दुसरों को रोज़गार देवे असे उदगार उद्घाटक प्र कुलगुरू डॉ श्रीराम कावळे ने अपने उद्घाटन भाषण में व्यक्त किया।
इस अवसर पर नाबार्ड जिला व्यवस्थापक तृणय फुलझले ने बताया नौकरी अथवा उघोग प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करना होता है। आप सभी अधिक शैक्षणिक मेहनत कर जिद्द व चिकाटी से स्वयं व जिले का विकास कर सकते हैं और विकास करना चाहिए।
उसी प्रकार डॉ रोहित माडे़वार ने विघार्थियो से कहा पदवी लेने की उम्र जीवन का टर्निंग प्वाइंट होता है आप अधिक शैक्षणिक व मानसिक मेहनत करें और संसार को जीत लेने की हिम्मत व काबिलियत बनाने का आव्हान किया है।
कार्यक्रम अध्यक्ष विश्व शांतिदूत श्री अर्जुनवार ने आजादी के अमृत महोत्सव अंतर्गत आजादी के जनांदोलन के समय राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भारत के कोने कोने में जाकर अनेक बोली भाषा व लगभग छः सौ राजा महाराजा की रियासतों को एक किया, भारत को हिंदुस्तान व हिंदुस्तान को समग्र भारत बनाया। उस समय देश के 75 प्रतिशत लोगों को शरीर ढ़कने के लिए वस्त्र नहीं होता था ऐसे में महात्मा गांधी ने स्वयं के शरीर के सभी वस्त्रों का त्याग कर सिर्फ एक लंगोटी में जीवन गुजारा। आज़ादी के लिए क्रांतिकारियों के साथ ही समाज सेवी, राजनेता, वकील, लेखक, कवि सभी ने अपना योगदान दिया। परंतु गांधी जी लोगों को एक संघ करने हेतु देश के अनेक क्षेत्रों में चरखा व खादी संघ की स्थापना कर आर्थिक, सामाजिक व सम्मान की क्रांति के साथ आजादी दिलाने में अपनी महती भूमिका को समझाया गया
इस वर्ष पदवीदान के साथ ही रासेयो विभाग प्रमुख प्राध्यापक दीपक ठाकरे तथा उत्कृष्ट विघार्यांयों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मान किया गया। कार्यक्रम की प्रस्तावना प्रा. सुषमा बुरले, संचालन प्रा. विशाल भांडेकर तथा आभार प्रदर्शन प्रा. प्रमोद सहारे ने किया।
कार्यक्रम की सफलता हेतु रासेयो विभाग प्रमुख प्राध्यापक दीपक ठाकरे, प्रा. मनिषा ऐलमुलवार तथा सुनील गोंगले ने अथक परिश्रम किया।