अनबुझे सवाल
https://www.zeromilepress.com/2022/07/blog-post_60.html
कोई मरा हो पूँजीपति ऐसी मिसाल है?
मुफ़लिस ही मरे हैं, जोकि आदम के लाल थे,
हव्वा की कब्र में सुने कोई ये सदा,
लख्ते जिगर का खून किया मेरे ही लाल ने।
गाँधी की आत्मा भी रो रही है इस तरह,
क्यों झूठी कसमें खाते हो मेरी मज़ार पे।
उस बदनसीब बेवा को जम्हूरियत से क्या फायदा,
जिसका सुहाग लूटा गया हो फिसाद में।
कुछ लाशों को कफन भी मयस्सर नहीं तो क्या,
इस बात की ज़मानत कहाँ है सामाजिक विधान में।
फिसाद - दंगे
फिरक़ा - जाती,वर्ग
वाराना - निछावर
मुफ़लिस - गरीब
लख्तेजीगर - पुत्र
जम्हूरियत - सत्ता
मयस्सर - उपलब्ध
- डॉ. तौकीर फतमा
कटनी, मध्य प्रदेश