मराठी भाषा के गौरव हैं कुसुमाग्रज : डॉ. शैलेन्द्र लेंडे
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नागपुर। मराठी भारत की प्राचीन भाषा है। संतों -सुधारकों ने अपनी रचनाओं से इसे समृद्ध किया। विष्णु वामन शिराडकर ‘कुसुमाग्रज’ ने मराठी को साहित्यिक और भाषिक दृष्टि से व्यवस्थित और पोषित करने का महान कार्य किया। यही कारण है कि कुसुमाग्रज मराठी भाषा के गौरव के प्रतीक के रूप में जाने जाते हैं। उक्त विचार मराठी विभाग, राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष डॉ. शैलेन्द्र लेंडे ने मराठी मराठी भाषा गौरव दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय के हिन्दी और मराठी विभाग एवं शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, विदर्भ प्रान्त के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि कुसुमाग्रज ने अपने कृतित्व से मराठी भाषा को अलंकृत किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज पाण्डेय ने कहा कि कुसुमाग्रज मराठी भाषा को गौरवान्वित करने वाले श्रेष्ठ लेखक थे। किसी रचनाकार की जयन्ती को भाषा विशेष के गौरव के प्रतीक के रूप में याद किया जाना, उस भाषा-भाषी समाज के लिए गौरव की बात है। इससे कुसुमाग्रज के कार्यों और उनके योगदान का परिचय मिलता है। उन्होंने कहा कि कवि कुसुमाग्रज की जयंती को भाषा दिवस के रूप में मनाया जाना उनके प्रति समाज की कृतज्ञता का सूचक है।
सहयोगी प्राध्यापक डॉ. संतोष गिरहे ने कहा कि कुसुमाग्रज का साहित्य मराठी भाषा की अस्मिता का परिचायक है। भाषा को संवर्धित करनेवाले महान साहित्यकारों की प्रदीर्घ परम्परा हमें मराठी साहित्य में मिलती है। मराठी विभाग की प्राध्यापिका डॉ. अमृता इंदुरकर ने कहा कि कुसुमाग्रज का साहित्य भारतीय भाषाओं का सेतुबंध है। मराठी भाषा अभिजात्य भाषा है। इसलिए अन्य भाषा-भाषी भी मराठी साहित्य को पढ़ने में रुचि रखते हैं।
कार्यक्रम का संचालन प्रा. दामोदर द्विवेदी ने किया तथा आभार प्रदर्शन मराठी विभाग के प्रा. हर्षल गेडाम ने किया। इस अवसर पर डॉ. लखेश्वर चंद्रवंशी, डॉ. सुमित सिंह, डॉ. कुंजनलाल लिल्हारे, डॉ. एकादशी जैतवार, प्रा. जागृति सिंह, आकांक्षा बांगर, प्रा. अमित सहित हिन्दी, मराठी विभाग के शोधार्थी, विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।