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हमरो गुडी पाडवा


नऊ बरस को 
नऊ प्रभात लई
नऊ आस लायो
अपनो गुडी पाडवा।

सूखा खेत मां 
उबरा के लठीयो 
फटे कापड से
लपेट के लोटो
हमरा हुई गुडी पाडवा।

गुडी लई आवे 
शुभ भाग हमरो 
इक टक ताके
दुई जून रोटी को तरसे 
दिकरा हमरा
दूई बखत की रोटी
दिजा,
इस बरस ओ गुडी पाडवा।

मेमना हमरो 
छागल छगली 
पावे दुरबा 
नीर घास निरंतर,
ताप ना आवै,
ज्वर ना घेरे
तबीयत खुशाली 
बख्स दे गुडीया,

हिया बाट जोये
सैंया कब आवै
परदेस मां खाटे
अबकी बरस
उनको जलद 
घर लई आ
मोरी पियारी 
ओ गुडी पाडवा।

देखो अनुज
भैया भगिनी 
हमरा खेमा मा 
हम भी मनावे
नाचत गावत 
गुडी पाडवा।

- डॉ शिवनारायण आचार्य

   नागपुर (महाराष्ट्र)
काव्य 8828838964479249789
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