प्रेम की गरिमा
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विशाल विदेशी- महोत्सव था
अद्भुत ही नजारा था-
लुभा रही थी अद्भुत संस्कृति यहां की
प्रकृति भी मदमस्त
हो गई विभोर मैं-
नयनों में आकुलता थी सबके
कुछ खोंज रहे थे व्याकुल से
देख उन्हें मै हुई चकित सी-
सिमटी हुई अपनी संस्कृति में
कुछ लजाती सी-
लिपटी 6 गज की साड़ी में- मैं
तभी- Hello
मुढ़कर देखा एक विदेशी
तेजस्वान, आर्कषक व्यक्तित्व
निर्भीक, सौम्य, प्रफुल्लित सा
सूट- बूट- टाई- हैट, उम्र- 60 की
मुस्काते हाथ बढ़ा वो बोला
Hello my gorgeous lady
जोड़े हाथ किया नमस्कार
वो चौंका बोला-
Why are you not shaking -
Hands with me?
मैंने कहा लजाते
मैं नमस्कार ही करती हूं
वो हंस पड़ा- oho- oho- oho
You are so attractive
Can l talk to you
इस झेपती सी मैं बोली- Why not
Are you single, l would to marry
You will you marry me-?
निकल पड़ा मुख से- What-?
वह फिर बोला-
I would be deeply greatful
to you far being in life,
I will allways Love you
and cherish you,
and I allways dreamt of
an lndian wife.
हुई शर्म से लाल मैं
लगी कांपने थर-थर
देख मेरी घबराहट को
रख कांधे पर हाथ वो बोला-
I promise to be with you-
allways till life take us apart.
I will allways be with you my-
Sweet heart.
कहा मैनें- सुन वो चौंका-
तुममें एक मित्र देखती हूं पति नहीं
What- but why tell me please
बोली मैं-
तन-मन हर अनजानें को
करते नहीं हम समर्पित यूं
ना जानूं तुमको, ना परिवार
क्षणभर की मुलाकात में ही
कैसे दे दूं जीवन अपना में यूं
मैं भारतीय हूं-
Sorry- कह वो चला गया
हड़बड़ाई सी बढ़ा रही थी कदम-
टकरा कर गिरी एक नौजवान से
Sorry- कह मुझे उठाया उसने-
पर पीछे पीछे आया वो-
Are you all right, but
what happend darling-
St-up मैं बोल पड़ी-
हकबकाया सा बोला वो - l just a
Parter darling- मैं चींखी
I am elder far you- understand
No problem- Age is just a-
Number darling.
चल पड़ी तेज कदमों से
घुटने लगा था दम ही मेरा
बैठी जाकर वृक्ष के नीचे
तभी प्यारा भोला बच्चा सा
होगा 16 का-
आकर बोला- what happend-
Are you alone, can I sit here
I am also alone, would you
Like a drink, please- लगा दिया
मेरे ओठों पे गिलास- गुस्से में ले
गिलास फैका और कहा- तुम बच्चें हों-
what- l am not a child-
भौचक्की सी देख रही अजूबा मैं
भारत में देखा नहीं यह दृश्य??
सब अनोखा-
शायद-
आधुनिकता की दौड़ में मै पिछड़ गई हूं-
निकल पड़ी भव्य समारोह से
भारत+विदेशी संस्कृति की इसी
उधेड़बुन में उलझी
खुद से करती रही प्रश्नोत्तर
दिल बोला- प्रेम आत्मिक है
सरे आम प्रदर्शन प्रेम नहीं
प्रेम बहुमूल्य रत्न है
एक पवित्र रिश्ता है
समर्पण व त्याग है
भारत हो या विदेश
उस पर ना लगाओ
कलंक का टीका
- रति चौबे
न्यूजीलैड