उभरते सितारे में 'परीक्षा के बाद'
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नागपुर। विदर्भ हिंदी साहित्य सम्मेलन का नवोदित प्रतिभाओं को समर्पित मंच 'उभरते सितारे'। जिसके अंतर्गत 'परीक्षा के बाद' विषय पर ज्ञानवर्धक, संगीतमय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें, विषेश अतिथि के रूप में सुपरिचित ज्योतिषाचार्य डॉ. कीर्ति पाटिल जी उपस्थित थीं। इनका सम्मान सहसंयोजिका वैशाली मदारे ने स्वागत वस्त्र और मोमेंटो देकर किया। अपने संबोधन में डॉ कीर्ती पाटील ने कहा कि, बच्चों को बहुत ज्यादा अनुशासन में ना रखें। अति सर्वत्र वर्जते। अपने बच्चों को दूसरे बच्चों का उदाहरण ना दें, अपने बच्चों की स्पर्धा अपने आप से रहे। बच्चों की प्रतिभा को प्रोत्साहन देना पेरेंट्स का काम है। उन्होंने विस्तार पूर्वक अपनी बातें रखते हुए कहा की संगीत सबसे बड़ी उपचार पद्धति है। और, ज्योतिष शास्त्र के उदाहरण देते हुए बताया की प्रकृति भी पांच तत्वों से बनी है। तथा, श्रोताओं के सवालों का भी उन्होंने बहुत अच्छी तरह समझाते हुए जवाब दिया।
सर्वप्रथम, कार्यक्रम का प्रारंभ करते हुए सहसंयोजिका वैशाली मदारे ने अपने प्रास्ताविक में 'परीक्षा के बाद' विषय को अपने स्वयं के बचपनों के अनुभवों के साथ जोड़ते हुए, उपस्थित अभिभावकों को बच्चों और उनके प्रति उनके दायित्वों को समझाया। तत्पश्चात, बाल कलाकार संपूर्णा रेमंडल ने अपने सुंदर नृत्य की प्रस्तुति के साथ एक कविता के माध्यम से 'परीक्षा के बाद' विषय को रेखांकित किया। जिसे सभी ने सराहा। कार्यक्रम में हास्यव्यंग बाल कलाकार आर्या संदीप भोंगाड़े, मीनाक्षी केसरवानी, मोनिका रेमंडल, डीपी भावे, आरसी महतो, आनंद डोंगरे, राजेश प्रसाद और राज चौधरी प्रमुखता से उपस्थित थे। कार्यक्रम में प्रशांत शंभरकर ने सहयोग किया। तथा, कार्यक्रम का कुशल संचालन वैशाली मदारे ने किया।