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योग : 'एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य' की ओर एक जागरूक कदम


आज के युग में, पृथ्वी के स्वास्थ्य और मानव कल्याण के बीच का संबंध पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। जलवायु परिवर्तन, पर्यावरणीय क्षरण और बढ़ती स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के दौर में यह समझ और भी गहरी हो गई है कि मानव स्वास्थ्य, पृथ्वी के स्वास्थ्य से अटूट रूप से जुड़ा हुआ है।

"एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य" का मंत्र इसी पारस्परिक संबंध पर बल देता है। यह जीवनशैली में संतुलन, स्थिरता और प्रकृति के साथ सामंजस्य को अपनाने का संदेश देता है। इस विचार को व्यवहार में लाने का एक सशक्त और प्राचीन माध्यम है - योग।

योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि एक संपूर्ण जीवन-दर्शन है। यह जागरूकता, अनुशासन, करुणा और आंतरिक शांति को बढ़ावा देता है। नियमित योगाभ्यास से व्यक्ति अपने शरीर, मन, समाज और प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करना सीखता है। यह अभ्यास केवल योग मैट तक सीमित नहीं रहता, बल्कि हमारे दैनिक जीवन, सोच, आचरण और आदतों को भी आकार देता है।

योग के नैतिक सिद्धांतों की जड़ें सभी जीवों के प्रति सम्मान में निहित हैं। 'अहिंसा' योग का एक मूल स्तंभ है, जो हमें स्वयं, अन्य लोगों, पशुओं और पर्यावरण को किसी भी प्रकार की हानि से बचाने की प्रेरणा देता है। जब यह सिद्धांत ईमानदारी से अपनाया जाता है, तो यह हमें शाकाहारी जीवनशैली, पर्यावरण के अनुकूल विकल्प, और प्रदूषणकारी आदतों से दूरी की ओर अग्रसर करता है।

इसी तरह, 'अपरिग्रह' यानी आवश्यकतानुसार ही उपभोग करना - हमें भोगवाद और बर्बादी से दूर रखता है। यह सिद्धांत संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देता है, जिससे पृथ्वी पर भार कम होता है और पर्यावरणीय संतुलन बना रहता है।

योग न केवल बाह्य स्वच्छता और अनुशासन सिखाता है, बल्कि भीतर की सादगी और संतुलन को भी जाग्रत करता है। जब कोई व्यक्ति योग का मार्ग अपनाता है, तो वह अधिक स्वच्छ, सचेत और सुसंगत जीवनशैली की ओर बढ़ता है। इससे कृत्रिम उत्तेजनाओं पर निर्भरता घटती है, जीवनशैली से जुड़ी बीमारियाँ कम होती हैं और स्वास्थ्य व्यवस्था पर दबाव भी घटता है।

योग का एक और अनूठा पक्ष यह है कि यह हमें पुनः प्रकृति से जोड़ता है। पारंपरिक योगदर्शन के अनुसार, पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश - ये पाँच तत्व मानव और प्रकृति के मूल हैं। सूर्य नमस्कार, ध्यान और जमिन पर किए गए आसनों जैसे अभ्यास इन तत्वों के प्रति जागरूकता बढ़ाते हैं, जिससे व्यक्ति में प्रकृति और पर्यावरण के प्रति सम्मान और संरक्षण की भावना विकसित होती है।

इसके साथ ही, योग मानसिक स्पष्टता और भावनात्मक लचीलापन भी प्रदान करता है। तनाव, चिंता और अनिश्चितता से भरे समय में, योग एक ऐसा साधन है जो हमें आत्म- नियंत्रण, साहस और आशा के साथ आगे बढ़ने की शक्ति देता है। यह आंतरिक सामर्थ्य न केवल व्यक्तिगत, बल्कि सामाजिक नवाचार, स्थायी क्रियाशीलता और प्रभावी नेतृत्व में भी सहायक होती है।

आज योग एक वैश्विक आंदोलन बन चुका है, जो भाषा, संस्कृति और धर्म की सीमाओं से परे जाकर मानवता को जोड़ रहा है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस जैसे अवसर पर जब करोड़ों लोग एक साथ योग करते हैं, तो वह एक सामूहिक ऊर्जा का निर्माण करते हैं, जिसमें स्वास्थ्य, शांति और पर्यावरणीय संतुलन को साधने की क्षमता होती है।

'एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य' केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक जीवंत दर्शन है। योग हमें हर दिन सचेत रूप से श्वास लेने, नैतिकता से जीने और समस्त प्राणियों के प्रति सम्मान प्रकट करने की प्रेरणा देता है। यह केवल विचारों का दर्शन नहीं, बल्कि उन्हें जीवन में उतारने का सशक्त माध्यम है।

योग, वास्तव में, एक शाश्वत उपहार है - जो हमें सजीव रूप से जीने, करुणा से कार्य करने और स्वयं के साथ-साथ इस धरती की भलाई के लिए प्रयत्नशील रहने की दिशा में प्रेरित करता है।

- डॉ. संजय उगेमुगे, 
   संजीवन प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग केंद्र, आमगांव देवली, तह. हिंगना, नागपुर
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