छत्तीसगढ़ी साहित्य में मीडिया का महत्वपूर्ण योगदान : डॉ. डीपी देशमुख
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नागपुर/रायपुर। विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज, छत्तीसगढ़ इकाई द्वारा आयोजित राष्ट्रीय आभासी संगोष्ठी "छत्तीसगढ़ी साहित्य में मीडिया का प्रभाव" विषय रखा गया। कार्यक्रम का प्रारंभ डॉ.अवंतिका शर्मा के सरस्वती वंदना से हुआ। कार्यक्रम के अध्यक्षता डॉक्टर डीपी देशमुख, भिलाई कला परंपरा के प्रदेश अध्यक्ष एवं संपादक हमारे गांव हमर माटी, अंगना की गोठ ने कहा कि आज हम छत्तीसगढ़ी साहित्य का समृद्ध स्वरूप देख रहे हैं उसमें मीडिया का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
विभिन्न समाचार पत्रों ,पत्रिकाओं,सिनेमा और अन्य प्रिंट इलेक्ट्रानिक माध्यम से छत्तीसगढ़ी साहित्य को नई दिशा मिली है लेकिन छत्तीसगढ़ राज्य बनाने के बाद भाषाई की दृष्टि से इतना विकास नहीं हो पाया इसके लिए काफी हद तक शासकीय तंत्र जिम्मेदार है। छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के अस्तित्व में आन से उम्मीद थी कि लोक साहित्य को मजबूती मिलेगी लेकिन इसमें वर्षों के बाद भी संभवतः इच्छा शक्ति के अभाव के कारण छत्तीसगढ़ी साहित्य को अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई। और अधिक कार्य होना था यद्यपि इस दिशा में निजी एवं संस्थागत प्रयास लगातार हो रहे हैं।
वक्ता डॉ. दीनदयाल साहू सह संपादक हरिभूमि, रायपुर छत्तीसगढ़ ने कहा कि छत्तीसगढ़ी साहित्य में मीडिया के प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता। निश्चित रूप से छत्तीसगढ़ में मीडिया ने छत्तीसगढ़ी साहित्य को आगे बढ़ाने का काम किया है। आजादी के पहले और आजादी के बाद मीडिया का प्रभावी योगदान रहा है। लेकिन इसका दूसरा पक्ष यह भी है मीडिया के माध्यम से छत्तीसगढ़ी साहित्य का जितना प्रचार प्रसार होना चाहिए उतना नहीं हो पाया। खासकर छत्तीसगढ़ राज्य बनने के जो सकारात्मक उम्मीद शासन से अपेक्षा की थी उसमें अपेक्षित परिणाम नहीं आ पाया है, इसके लिए बुद्धिजीवियों, साहित्यकारों और शिक्षाविदों को व्यापक रूप से चिंतन मनन की आवश्यकता है।
अतिथि डॉक्टर गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी ने कहा कि सभी साहित्य में मीडिया का योगदान महत्वपूर्ण है। प्रस्तावक, आयोजन संचालक डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक ने कहा कि छत्तीसगढ़ के युवा पीढ़ी को छत्तीसगढ़ी का ज्ञान कराना आवश्यक है। स्वागत श्री लक्ष्मीकांत वैष्णव युवा संसद के द्वारा किया गया।आभार डॉ. अनुरिमा शर्मा व्याख्याता दानी स्कूल, रायपुर, छत्तीसगढ़ के द्वारा किया गया।