राष्ट्रीय चेतना के प्रतीक थे सरदार पटेल : प्रो. बृजेन्द्र पाण्डेय
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राष्ट्रीय एकात्मता और सरदार वल्लभभाई पटेल पर दो दिवसीय राष्ट्रीय एकता संगोष्ठी सम्पन्न
नागपुर। राष्ट्रीय एकात्मता के लिए आवश्यक है सामूहिक इच्छाशक्ति। जब समाज एकात्म भाव से एकाकार होता है, तभी राष्ट्रीय चेतना जाग्रत होती है। सरदार पटेल का प्रत्येक कार्य, उनकी नीति और निर्णय सब कुछ समाज केन्द्रित था। वास्तव में सरदार पटेल राष्ट्रीय चेतना के प्रतीक हैं। यह बात भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, राष्ट्रपति निवास, शिमला के वरिष्ठ अध्येता प्रो. बृजेंद्र पांडेय ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कही। उन्होंने जोर देकर कहा कि पूर्वाग्रह या दुराग्रह के बिना पूर्ण निष्पक्षता से महापुरुषों का अध्ययन करना अत्यन्त आवश्यक है। वे हिन्दी विभाग, राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय, भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली तथा शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय एकात्मता की संकल्पना और सरदार वल्लभभाई पटेल विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय एकता संगोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे।
इस अवसर पर केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा के निदेशक प्रो. सुनील कुलकर्णी ने बतौर मुख्य अतिथि कहा कि सरदार पटेल पर सामान्य जनता के साथ ही उस समय के ५६२ छोटे-बड़े रियासतों का भरोसा था। इस भरोसे के चलते उन्होंने अपने राज्य का भारत में विलय कर दिया। यह विलक्षण सामर्थ्य सरदार पटेल के व्यक्तित्व की विशेषता है। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश के निदेशक डॉ. विकास दवे ने सरदार पटेल के जीवन के विविध प्रसंगों की चर्चा करते हुए कहा कि सरदार इस समय हमारे बीच प्रत्यक्ष रूप से नहीं है, किन्तु उनकी दृढ़ता, उनका समाज दर्शन और नीतियाँ आज भी सबके लिए प्रेरणास्रोत है। वहीं महाराष्ट्र शासन के पूर्व पुलिस महानिदेशक डॉ. भूषणकुमार उपाध्याय ने कहा कि राष्ट्रीय एकात्मता भारत के मूल में है। वैदिक काल से ‘एकोहम बहुस्याम बहुधा वदन्ति’ का मंत्र लेकर भारत चल रहा है।
विशिष्ट वक्ता प्रो. रविरंजन ने अपने उद्बोधन में सरदार पटेल की राजनीति में राष्ट्रनीति की चर्चा की। वहीं गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर के अधिष्ठाता प्रो.सुनील कुमार ने वर्तमान सामाजिक समस्याओं और विकृतियों को समाप्त करने के लिए भारतीय मनीषियों के अध्ययन पर जोर दिया। हैदराबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय के सहयोगी प्राध्यापक डॉ. प्रकाश कापर्डे ने सरदार पटेल के विविध आन्दोलनों की चर्चा करते हुए एक प्रभावी किसान नेता के रूप में उनकी विशेषताओं का उल्लेख किया।
समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के पूर्व प्र-कुलगुरु प्रो. राजेन्द्र काकडे ने कहा कि सरदार पटेल जैसे राष्ट्रीय व्यक्तित्व और उनके विचारों के महत्त्व को जानने की आज बहुत आवश्यकता है। आभार व्यक्त करते हुए हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज पाण्डेय ने कहा कि राष्ट्रीय एकता केवल चर्चा का विषय नहीं है, वरन यह आचरण का विषय है। राष्ट्रीय चरित्र से ही राष्ट्रीय एकता सम्भव है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. लखेश्वर चन्द्रवंशी ने किया। इस अवसर पर देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों से आए प्रतिभागियों ने शोध-पत्र का वचन किया। सभी शोधार्थियों को प्रमाण-पत्र तथा स्मृति-चिह्न प्रदान किये गए। संगोष्ठी में देश के विभिन्न भागों से प्रध्यापक, शोधार्थी, विद्यार्थी एवं नगर के अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।