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श्री साई ताज पॉलिटेक्निक में राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित की गई


श्री साई ताज पॉलिटेक्निक, ड्रगधामना, 8 माइल, अमरावती रोड में महाराष्ट्र के महान संत, समाज सुधारक और दूरदर्शी व्यक्तित्व राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
इस अवसर पर श्री साई ताज पॉलिटेक्निक के प्राचार्य श्री कृष्ण विश्वकर्मा, पार्श्वनाथ पब्लिक स्कूल की प्राचार्या सुश्री अन्नू पाल, तथा पॉलिटेक्निक के शिक्षक एवं कर्मचारी सुश्री निधि गोसावी, सुश्री काजल, सुश्री वृशाली, सुश्री रेखा, सुश्री मनीषा, सुश्री पूजा, सुश्री ज्योति, सुश्री दीपा, श्री संजय भगत, श्री राजेंद्र उके एवं अन्य उपस्थित रहे।

कार्यक्रम में प्राचार्य श्री कृष्ण विश्वकर्मा ने अपने संबोधन में बताया कि राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज (1909–1968), जिनका जन्म माणिक बंडोजी इंगळे के रूप में हुआ था, एक महान आध्यात्मिक नेता, समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन आध्यात्मिक जागरण और ग्रामीण भारत के पुनर्निर्माण के लिए समर्पित किया। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने उन्हें “राष्ट्रसंत” की उपाधि से सम्मानित किया था।

उनकी विचारधारा का मूल आधार मानव सेवा और आत्मनिर्भर ग्रामों का निर्माण था। उन्होंने ग्रामीणों को आपसी सहयोग से सड़कें, विद्यालय, कुएँ निर्माण और स्वच्छता जैसे कार्यों के लिए प्रेरित किया।
11 अक्टूबर 1968 को राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज का निधन हुआ। उनके योगदान को सम्मान देने हेतु 2005 में नागपुर विश्वविद्यालय का नाम उनके नाम पर रखा गया, और 1993 में उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया गया। उनके विचार आज भी समाज और राष्ट्र के विकास के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
कार्यक्रम के अंत में राष्ट्रसंत के प्रसिद्ध भजन की पंक्तियाँ याद की गईं - 'या भारतात बंधुभाव नित्य वसू दे, दे वरचि असा दे.' इस भजन के साथ कार्यक्रम का समापन एक सकारात्मक और प्रेरणादायक वातावरण में हुआ।
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