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ज्येष्ठ नागरिको ने की असंतुलित होते हुए पर्यावरण सम्बंधित परिचर्चा


पर्यावरण के संबंध में ध्यान नहीं दिया तो आने वाली पीढ़ी की होगी दुर्गति 

नागपुर। विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन के उपक्रम अभिनंदन मंच (ज्येष्ठ नागरिकों का सम्मान) के अंतर्गत कार्यक्रम में 'असंतुलित होते हुए पर्यावरण संबंधित परिचर्चा' से ज्येष्ठ नागरिको ने जाना पर्यावरण पर ध्यान नहीं दिया तो आने वाली पीढ़ी की क्या होगी दुर्गति। कार्यक्रम के प्रमुख अथिति  संजय प्रभाकर देशपांडे सामाजिक कार्यकर्ता  नागपुर।  विशिष्ट अतिथि निशिकांत जाधव, नागपुर, सचिव दलबीर सिंह नागपुर, कोषाध्यक्ष जगजीत कौर, बी के  सिंह प्रधान मुख्य वनसंरक्षक महाराष्ट्र पर्यावरण संरक्षक सलाहकार पर उपस्थित रहे। अतिथियों का स्वागत स्मृति चिन्ह शाल देकर किया गया। 

इस कार्यक्रम का आयोजन हिंदी मोर भवन रानी झांसी चौक में किया गया। निशिकांत जाधव नेअपने वक्तव्य में कहा  कुछ प्रजातियां रासायनिक पदार्थ उत्पन्न करती है। औद्योगिक प्रदूषण के साथ मिलकर कैंसर जैसी घातक बीमारियों का कारण बन सकती है। इसके अलावा उलटे  पदार्थ ओजोन परत के लिए हानिकारक है।

संजय देशपांडे ने अपने वक्तव्य में कहा वृक्षारोपण अभियानों के लिए उपयुक्त स्थानों का सुझाव दिया। शहरी बंजर भूमि, नदी किनारे और ग्रामीण क्षेत्रों में, सामुदायिक वृक्षारोपण की आवश्यकता पर बल दिया।
विश्व फाउंडेशन के अध्यक्ष रतन जैन के पौत्र युवा  यूवीण जैन ने वृक्षारोपण की आवश्यकता पर एक हृदय स्पर्शी कविता प्रस्तुत की जो इस बात का प्रतीक है कि पर्यावरण संरक्षण का आंदोलन घर से शुरू होता  है। 

राजेंद्र मेनन ने दर्शकों का वन विश्व फाउंडेशन के उद्देश्य और लक्ष्यों से अवगत कराया।फाउंडेशन के संस्थापक आर एस पदम की दूरदर्शी सोच पर प्रकाश डाला ।जिसमें हरित और संतुलित पर्यावरण के लिए सामूहिक प्रयासों पर जोर दिया गया। दलबीर सिंह ने अपने भावनात्मक और विचारोत्तेजक भाषण से पृथ्वी और मानव के रिश्ते को मां और  बेटे के पवित्र रिश्ते को जोड़ा। जैसे एक मां अपने बच्चे को पालने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर देती है वैसे पृथ्वी हमें भोजन, जल ऑक्सीजन, खनिज और जीवन के लिए आवश्यक सभी संसाधन देती है। 

बी के सिंह ने वनों के क्षरण के कारण उत्पन्न होने वाले जलसंकट पर गंभीर चेतावनी दी। वनों की कटाई के कारण भूजल स्तर में तेजी से कमी आ रही है। यदि यही स्थिति रही तो सन 2060 तक विश्व पेयजल की भयावह कमी हो सकती है। डॉ  कृष्ण कुमार द्विवेदी ने पर्यावरण पर अपनी स्वरचित कविता प्रस्तुत की। विजय तिवारी ने प्रस्ताविक भाषण देकर पर्यावरण के संबंध पर अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम के संयोजक व संचालन डॉ कृष्ण कुमार द्विवेदी ने किया।  

 इस कार्यक्रम को सफलतार्थ हेतु, जगजीत कौर, परमजीत सिंह भट्टी, गुरिंदे कौर, सुखबीर कौर ,युवा यूवीन जैन, बी के जैन, हरीश मालवीय, जया धोटे, जगत वाचपेई, मदन गोपाल वाचपेई, हेमंत कुमार पांडेय, सौरभ शुक्ला, धीरज दुबे, विनायक चिंचालकर, राजेश अग्रवाल, हरिरेंदर सिंह गांधी, कमल रेनू, ओमप्रकाश कहाते, शीतल साहू, राजेंद्र मिश्रा, उषा देशपांडे, अरविंद बागड़े, डी पी भावे, विश्वजीत पसरेकर, अनिता नारायण रूपचंदानी की उपस्थिति रही। कार्यक्रम का आभार  डॉ कृष्ण कुमार द्विवेदी ने किया।
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